महाराष्ट्र: ठाणे में एक अलमारी जिसमें कपड़े रखते ही हो जाते हैं 'गायब', जानें क्या है पूरा मामला?
By अंजली चौहान | Published: December 16, 2023 12:07 PM2023-12-16T12:07:38+5:302023-12-16T12:10:02+5:30
एक साधारण लकड़ी की अलमारी, जहां कपड़े जादू की तरह दिखाई देते हैं और गायब हो जाते हैं, चर्चा का विषय बन गया है...
ठाणे: अलमारी में कपड़े तो सभी रखते हैं और जरूरत होने पर उन्हें पहनते हैं लेकिन क्या कभी आपने कोई ऐसी अलमारी देखी है जिसमें कपड़े रखों और वह गायब हो जाए? क्यों है न हैरानी की बात लेकिन ठाणे में इन दिनों ऐसी ही एक अलमारी चर्चा का विषय बनी हुई है। 40 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अमृत देशमुख के दिमाग की उपज के बाद यह अलमारी सुर्खियों में आई है।
सर्दियों के मौसम में पारा गिरने के साथ ही कई जरूरतमंद लोगों को सर्दी से बचने के लिए पर्याप्त कपड़े नहीं मिल रहे हैं जिसका हल निकालने के लिए ही देशमुख ने करीब तीन महीने पहले नौपाड़ा में डोंबिवई नागरी सहकारी बैंक के पास अलमारी स्थापित की थी।
देशमुख का कहना है कि मेरे पास बहुत सारे अतिरिक्त कपड़े थे और मैं उन्हें जरूरतमंद और गरीब लोगों के उपयोग में लाना चाहता था। इसलिए मैंने उन्हें इस खुली अलमारी में रख दिया और मैंने सोचा कि इससे उन लोगों को कुछ मदद मिलेगी जिन्हें वास्तव में उनकी सख्त जरूरत है।
उनके इस नेक काम ने देखते ही देखते लोगों के मन में इस काम को करने की प्रेरणा जगा दी और अब कई लोग अलमारी में कपड़े रख कर जाते हैं जो अगले दिन तक गायब हो जाते हैं क्योंकि उसे जरूरतमंद लोग इस्तेमाल कर लेते हैं।
देशमुख कहते हैं कि उनके दोस्त सुशील हांडे ने भी इस काम में देशमुख की मदद की। देशमुख के विचार से प्रेरित होकर, नौपाड़ा निवासियों ने अभियान में भाग लेना शुरू कर दिया है और निस्वार्थ भाव से कपड़े, कंबल और ऊनी सामान अलमारी में रख रहे हैं। फिर वंचित लोग इन कपड़ों को लेने के लिए सुबह या देर रात आते हैं।
देखमुख ने "उपदेश देने से पहले अभ्यास करें" मंत्र दोहराया और कहा कि जैसे ही वह नए कपड़े खरीदते हैं, वह अलमारी में पुराने कपड़ों की एक जोड़ी रख देते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने आसपास के किसी भी निवासी से अपने कपड़े दान करने के लिए आग्रह या दबाव नहीं डाला है, बल्कि वे अपने कपड़े खुद ही अलमारी के अंदर रखते हैं।
गौरतलब है कि अपने विचार की सफलता से उत्साहित देशमुख जल्द ही आने वाले दिनों में एक "सामुदायिक फ्रिज" शुरू करने की योजना बना रहे हैं जो खाद्य असुरक्षा संकट से निपटने में मदद करेगा।
डीएनएस बैंक के बाहर सुरक्षा गार्ड शिवाजी पाटिल ने भी जरूरतमंद लोगों को कपड़े लेते देखा। उन्होंने कहा, "यह देशमुख द्वारा शुरू किया गया एक प्रेरणादायक अभियान है और इसका हर जगह पालन किया जाना चाहिए।"
ठाणे के सतीश प्रधान ज्ञानसाधना कॉलेज के प्रोफेसर संज्योत देउस्कर भी "जादुई अलमारी" के विचार से प्रभावित हैं। वह ठाणे के पंचपखाड़ी इलाके की रहने वाली है। पिछले हफ्ते नौपाड़ा इलाके से गुजरते समय उनकी नजर इस दिलचस्प अलमारी पर पड़ी और उन्होंने इसके बारे में फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। यह अनुकरण करने लायक विचार है। जब मैंने अलमारी के बारे में पोस्ट किया, तो मुझे कई सकारात्मक टिप्पणियां मिलीं, जिसमें कहा गया था कि इसी तरह की पहल औरंगाबाद में लागू की गई है, जहां जूते और कपड़े दोनों "मानवता की दीवार" के पास रखे गए हैं।
प्रोफेसर देउस्कर पढ़ाते हैं पिछले 34 वर्षों से ज्ञानसाधना कॉलेज में पर्यावरण अध्ययन। वह सामुदायिक सेवा में शामिल रही हैं और उन्होंने कॉलेज के छात्रों, उद्यमियों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा बनाए गए पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए अपने कॉलेज में ऊर्जा सेतु प्रदर्शनी शुरू की है।