दरगाह में स्वास्तिक क्यों? अब अजमेर दरगाह को लेकर भी हुआ विवाद शुरू, जानें पूरा मामला
By आजाद खान | Published: May 26, 2022 04:22 PM2022-05-26T16:22:27+5:302022-05-26T17:05:15+5:30
महाराणा प्रताप सेना का कहना है कि अगर अजमेर दरगाह को लेकर जांच नहीं की गई तो सेना के 2000 कार्यकर्ता दरगाह के बाहर जाकर आंदोलन करेंगे।
जयपुर:राजस्थान के अजमेर में मौजूद हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है। दरगाह को लेकर दावा किया जा रहा है कि वहां पर पहले एक शिव मंदिर था जिसे तोड़कर दरगाह बनाया गया है। यह दावा महाराणा प्रताप सेना द्वारा किया जा रहा है। सेना ने इसे लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है और मामले की जांच की बात कही है। अपने दावे की पुष्टी के लिए सेना ने एक फोटो भी भेजी है जो दावा किया जा रहा है कि यह फोटो दरगाह की है। इस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर सेना ने बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाने की बात भी कही है।
क्या है पूरा मामला
आज तक की एक खबर के मुताबिक, राजस्थान के महाराणा प्रताप सेना द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि अजमेर में मौजूद ख्वाजा साहब का दरगाह पहले एक शिव मंदिर थी। इस दावे को साबित करने के लिए सेना ने एक फोटो भी जारी किया है जिसे बताया जा रहा है कि यह दरगाह की खिड़कियों का फोटो है। फोटो में यह देखा जा रहा है कि दरगाह की खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान बने हुए हैं। इस पर बोलते हुए सेना के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार ने कहा कि जिस जगह पर आज दरगाह मौजूद है, वहां पर पहले शिव मंदिर था। इसको लेकर सेना ने सीएम गहलोत और केंद्र में मोदी सरकार को भी पत्र लिखा है।
क्या कहना है परमार का
मामले में बोलते हुए परमार ने कहा कि अजमेर की दरगाह में किसी स्वस्तिक का क्या काम? उन्होंने इसको लेकर जांच करने की भी बात कही है। इसके लिए उन्होंने एक हफ्ते का समय दिया है। उनका कहना है कि तय समय तक अगर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो वे इसको लेकर केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया तो वे इसको लेकर एक बड़ा आंदोलन भी करेंगे। परमार ने आगे कहा कि अगर इस मामले की कोई जांच नहीं हुई तो सेना के करीब 2000 कार्यकर्ता दरगाह पर जाकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कोर्ट जाने की भी बात कही है।