दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हॉस्टल फीस बढ़ाए जाने के विरोध में छात्रों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन में संसद तक मार्च करने का प्रयास किया। पिछले कई दिनों से जेएनयू के हजारों छात्र फीस बढ़ाने को लेकर विरोध कर रहे हैं। जेएनयू के इस विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर 'मेरा टैक्स' का सवाल उठने लगा है। कुछ दिनों पहले यह विरोध किया जा रहा था कि जेएनयू के छात्र उनके टैक्स के पैसे पर ऐश कर रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं। लेकिन आज (19 नवंबर) इसके विपरीत टैक्सपेयर्स कह रहे हैं कि वह जेएनयू के छात्र के साथ हैं। जिसको लेकर ट्विटर पर हैशटैग #TaxPayersWithJNU ट्रेंड भी कर रहा है।
इस ट्रेंड के साथ लोग कह रहे हैं कि हमारे टैक्स से सरकरा मूर्तियां बनवा रही है, टैक्सपेयर्स के पैसे से मुख्यमंत्री के लिए प्राइवेट जेट खरीदा जा रहा है तो क्या यह सही है। वहीं एक यूजर का कहना है कि हमें अपने पैसे मंदिर और मस्जिद के निर्माण के लिए नहीं देना है।
कुछ लोगों का कहना है कि हमें इस बात से कोई दिक्कत नहीं होगी कि हमारे टैक्स के पैसे शिक्षा में लगे। कुछ लोगों का कहना है कि सिर्फ जेएनयू ही क्यों पूरे देश में शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए।
एक वैरिफाइड यूजर ने लिखा है, जेएनयू भारत का टॉप यूनिवर्सिटी है। टैक्सपेयर्स के पैसे को शिक्षा में लगाया जाना चाहिए। सारे टैक्स के पैसे टैक्सपेयर्स के पैसे खर्च किया जाना चाहिए। इसलिए हम #TaxPayersWithJNU हैं।
देखें प्रतिक्रिया
सोमवार को जेएनयू के हजारों छात्र अपने कैम्पस से संसद तक मार्च करने की कोशिश में जमा हुए लेकिन पुलिस ने उन्हें मेन गेट के पास ही रोक दिया था। सोमवार से ही संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था। स्थिति को काबू में करने के लिए दिल्ली पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत करीब 100 जेएनयू छात्रों को हिरासत में लिया। पुलिस ने छात्रों को मार्च से रोकने के लिए रविवार देर रात से ही मेन गेट के दोनों तरफ भारी बैरिकेडिंग कर दी थी और इलाके में धारा 144 लगा दी थी।