इसरो ने शुक्रवार (30 अगस्त) को इस बात की जानकारी दी थी कि 'चंद्रयान-2' को चांद की चौथी कक्षा में आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुक्रवार को सफलतापूर्वक पूरी की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरी होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान की सभी गतिविधियां सामान्य है। इसरो ने एक अपडेट में कहा कि, “प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान को चंद्रमा की चौथी कक्षा में आज (30 अगस्त,2019) सफलतापूर्वक प्रवेश कराने का कार्य योजना के मुताबिक छह बजकर 18 मिनट पर शुरू किया गया। इसी के साथ इसरो ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से अंग्रेजी में FIND लिखते हुये पूछा था कि आपको क्या लगता है कि चांद पर पहुंचते ही सबसे पहले क्या दिखेगा। अपनी सोच साझा कीजिए।
इसके जवाब में ट्विटर यूजर ने कई प्रतिक्रिया दी है। लोगों ने एक से बढ़कर एक मीम बना कर भेजे हैं। एक यूजर इसको लेकर फनी वन लाइनर भी लिख रहे हैं, जिसमें लोग बॉलीवुड में चॉंद पर बने गानों को शेयर कर रहे हैं।
इसरो के मुताबिक एक सितंबर 2019 को शाम छह बजे से सात बजे के बीच चंद्रयान-2 को चंद्रमा की पांचवी कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
इसरो ने कहा कि आगामी दो सितंबर को लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और सात सितंबर को यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है। अतंरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
चंद्रयान..2 ने चंद्रमा के सतह के गड्ढों की तस्वीरें भी ली थी
26 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस बात की जानकारी दी थी कि चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह की कुछ और तस्वीरें ली हैं जिसमें कई विशाल गड्ढे (क्रेटर) दिखायी दे रहे हैं। इसरो ने तस्वीरें साझा करते हुए एक बयान में कहा कि चंद्रयान द्वारा जो तस्वीरें ली गई हैं वे सोमरफेल्ड, किर्कवुड, जैक्सन, माक, कोरोलेव, मित्रा, प्लासकेट, रोझदेस्तवेंस्की और हर्माइट नामक विशाल गड्ढों की हैं। इन विशाल गड्ढों का नाम महान वैज्ञानिकों, अंतरिक्ष यात्रियों और भौतिक विज्ञानियों के नाम पर रखा गया है। विशाल गड्ढे ‘मित्रा’ का नाम भारतीय भौतिक विज्ञानी एवं पद्म भूषण से सम्मानित प्रोफेसर शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया है।