जज ने अपनी जेब से अदा किया बुजुर्ग का कर्ज, कोर्ट में नहीं थम रहे थे गरीब के आंसू, जानिए इस इमोशनल वाकये को

By एस पी सिन्हा | Published: November 12, 2022 05:52 PM2022-11-12T17:52:35+5:302022-11-12T17:57:01+5:30

बिहार में जहानाबाद में जिला जज राकेश कुमार सिंह ने अपनी कोर्ट में पेश हुए गरीब की मदद की और अपनी जेब से पैसा देकर उसे बैंक के कर्ज से मुक्त किया।

In Bihar's Jehanabad, the judge paid the debt of the elderly from his own pocket, the poor's tears were not stopping in the court, know this emotional incident | जज ने अपनी जेब से अदा किया बुजुर्ग का कर्ज, कोर्ट में नहीं थम रहे थे गरीब के आंसू, जानिए इस इमोशनल वाकये को

फाइल फोटो

Highlightsबिहार के जहानाबाद की लोक अदालत में जज राकेश कुमार सिंह ने की कर्जदार बुजुर्ग की मददबुजुर्ग ने बेटी की शादी के लिए बैंक से लिया था 18 हजार रुपए का लोन, लेकिन उसे भर नहीं पाया थाजज राकेश कुमार सिंह ने पूरी बात जानने के बाद अपनी जेब से उसे दिये 10 हजार रुपये

पटना:बिहार में जहानाबाद के जिला जज की दरियादिली सामने आई है। जिसकी चर्चा हर ओर हो रही है। दरअसल, जिला जज राकेश कुमार सिंह ने कोर्ट में लगाए गए लोक अदालत में एक बुजुर्ग को अपनी जेब से 10 हजार रुपए देकर उनका बैक ऋण चुकता कराया।

कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचे बुजुर्ग ने जब जज साहब के सामने कर्ज के 18 हजार रुपए बैंक को नहीं भर पाने की वजह बताई तो जज साहब इसके दुखी हो गये कि उन्होंने अपनी जेब से पैसे निकाल कर उस बुजुर्ग की मदद की और उसे जेल जाने बचाया।

जज साहब की सहृदयता देखकर कर्जदार बुजुर्ग की आंखों से आंसू रुक ही नहीं पा रहे थे। वहीं इस संबंध में जज साहब ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। लेकिन गरीब बुजुर्ग जज साहब को धन्यवाद देते नहीं थक रहा है। वहीं जहानाबाद के लोगों के बीच जज साहब के कार्य की जमकर सराहना हो रही है।

बताया जाता है कि बुजुर्ग को बैंक से लोन लिया हुआ 18 हजार लौटाना था। राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचे बुजुर्ग ने जज साहब को बताया कि उसके पास कर्ज लौटाने के लिए पैसे नहीं है। उसने कहा कि बेटी की शादी के लिए उसने बैंक से लोन लिया था। लेकिन वो बैंक का कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं है।

बुजुर्ग ने कोर्ट में कहा कि बेटी की शादी करके तो उसने उसे ससुराल विदा कर दिया लेकिन उसके बाद वो और ज्यादा ज्यादा कर्ज में डूब गया था। गरीब ने कहा कि बैंक ने कर्ज न चुकाने के कारण हमे नोटिस दिया है। हम कर्ज में जमा करने के लिए 5 हजार रुपया साथ लेकर आए हैं लेकिन उससे ज्यादा पैसा हमारे पास नहीं है।

बूढ़े गरीब की व्यथा सुनकर जज साहब का दिल भी पिघल गया लेकिन चूंकि अदालत का फैसला बैंक के पक्ष में था और कानूनी तौर पर बैंक के पक्ष में मजबूत था। इस कारण जज साहब भी कानून की जंजीर में बंधे थे। ऐसे में बूढ़े गरीब को बैंक के झंझट से निकालने के लिए जज साहब ने अपनी तरफ से 10 हजार रुपए बुजुर्ग को दिये।

जज साहब की मदद से अब बुजुर्ग के पास बैंक को चुकाने के लिए कुल 15 हजार रुपये हो चुके थे लेकिन कर्ज पूरे 18 हजार रुपये का था। ऐसे में बुजुर्ग के साथ आए एक युवक ने अपनी ओर से तीन हजार रुपए उन 15 हजार रुपये में मिलाए और बुजुर्ग ने बैंक को 18 हजार रुपये की कर्ज अदायगी करके उससे मुक्ति पायी।

Web Title: In Bihar's Jehanabad, the judge paid the debt of the elderly from his own pocket, the poor's tears were not stopping in the court, know this emotional incident

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