मंगल नहीं बल्कि इस बार शुक्र ग्रह में मिला कुछ ऐसा, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
By भाषा | Published: January 11, 2019 04:07 PM2019-01-11T16:07:45+5:302019-01-11T16:07:45+5:30
शुक्र को अक्सर धरती का जुड़वा भी कहा जाता है क्योंकि उसका आकार और गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के समान ही है, लेकिन उसकी जलवायु बहुत अलग है। यह धरती की विपरीत दिशा में और बहुत धीमी गति से चक्कर लगाता है, जो धरती के 243 दिनों के लिए एक चक्कर के बराबर है।
जापान के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्षयान अकातसुकी के अवलोकन के आधार पर शुक्र ग्रह को ढकने वाले बादलों के बीच एक विशाल चमकदार ढांचे की पहचान की है। जापान के कोब विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने बड़े स्तर पर तैयार की गई जलवायु की नकल का प्रयोग करते हुए इस ढांचे की उत्पत्ति के बारे में भी खुलासा किया है।
शुक्र को अक्सर धरती का जुड़वा भी कहा जाता है क्योंकि उसका आकार और गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के समान ही है, लेकिन उसकी जलवायु बहुत अलग है। यह धरती की विपरीत दिशा में और बहुत धीमी गति से चक्कर लगाता है, जो धरती के 243 दिनों के लिए एक चक्कर के बराबर है।
अध्ययन के मुताबिक शुक्र की सतह के ऊपर पूर्व की तरफ चल रही हवा प्रति घंटे करीब 360 किलोमीटर की तेज गति से ग्रह का चक्कर लगा रही है। इस घटना को वायुमंडलीय सुपर रोटेशन कहा जाता है।
शुक्र का आसमान 45-70 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित सल्फ्यूरिक एसिड के मोटे-मोटे बादलों से ढका हुआ है, जिससे धरती के टेलीस्कोप एवं शुक्र के ईर्द-गिर्द मौजूद कृत्रिम उपग्रहों से ग्रह की सतह का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है।
जापानी अंतरिक्षयान अकातसुकी में लगा इंफ्रारेड कैमरा “आईआर टू” निचले स्तर पर मौजूद बादलों की संरचना का विस्तार से पता लगाने में सक्षम है और इसी की मदद से निचले बादलों की गतिशील संरचना का धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।