दिल्ली हिंसा: डीसीपी को बचाते हुए गई हेड कांस्टेबल रतन लाल की जान, जानें 24 फरवरी को हुआ क्या था
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 26, 2020 08:54 AM2020-02-26T08:54:52+5:302020-02-26T11:45:23+5:30
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के चलते दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल सहित 13 लोगों की जान चली गई.
दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत पत्थर लगने से नहीं बल्कि गोली लगने से हुई है। रतनलाल मौजपुर में हुई हिंसा के दौरान मारे गए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रतनलाल को गोली लगने की पुष्टि हुई है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल सहित 13 लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में हुई हिंसा में मारे गये दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की पत्नी को पत्र लिखकर अपना शोक संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस दुख की घड़ी में बहादुर पुलिसकर्मी के परिवार के साथ है। हिंसा के मद्देनजर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक महीने के लिए धारा-144 लागू कर दी गई है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रतनलाल के बाएं हाथ में लगी गोली
हिन्दुस्तान अखबार में छपी खबर के अनुसार, पोस्टमार्टम के वक्त जीटीबी अस्पताल में मौजूद रतनलाल के परिजनों ने बताया कि जब भीड़ ने हमला किया तो डीसीपी अमित शर्मा के सिर में चोट लग गई और वह घायल होकर नीचे गिर गए। जब डीसीपी को उठाने रतनलाल झुके तो डीसीपी की तरफ चलाई गई गोली उन्हें लगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाएं हाथ में गोली लगी जो सीने को पार करते हुए दूसरी तरफ से निकल गई। यही रतनलाल के मौत की वजह बनी। इससे पहले माना जा रहा था कि रतनलाल की मौत की वजह पत्थर लगना है क्योंकि उनके सिर में चोट लगी थी।
जानें 24 फरवरी को मौजपुर में हुआ क्या था
सोमवार (24 फरवरी) को एसीपी गोकलपुरी अनुज कुमार अपने ऑपरेटर रतनलाल के साथ मौजूद थे। इस दौरान डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा भी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे। इसी दौरान भीड़ के हमले में रतनलाल की मौत हो गई जबकि डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार घायल हो गए। दोनों को पटपड़गंज के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फिलहाल डीसीपी-एसीपी की हालत स्थिर बताई जा रही है।
राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे रतनलाल
राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल सिर्फ 20 साल की उम्र में दिल्ली पुलिस में साल 1998 में भर्ती हुए। वर्तमान में एसीपी गोकुलपुरी के ऑफिस में तैनात थे। दिल्ली में वह बुराड़ी के अमृत विहार इलाके में रहते थे। रतन लाल हमेशा अपनी ड्यूटी को तरजीह देते थे। सोमवार (24 फरवरी) को बुखार होने वाले बावजूद 42 साल के रतन लाल ने ड्यूटी पर जाना जरूरी समझा। इसी दौरान दिल्ली में भड़की हिंसा में उन्हें उपद्रवियों के हाथों जान गंवानी पड़ी। रतन लाल की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजन रोते-बिलखते बार-बार यही कह रहे थे और वह ड्यूटी पर नहीं जाते आज हमारे बीच होते।
अमित शाह ने परिजनों को लिखा पत्र
शहीद रतनलाल की पत्नी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (25 फरवरी) को पत्र लिखा। गृह मंत्री ने लिखा, ‘‘आपके बहादुर पति समर्पित पुलिसकर्मी थे जिन्होंने कठिन चुनौतियों का सामना किया। सच्चे सिपाही की तरह उन्होंने इस देश की सेवा के लिए सर्वोच्च कुर्बानी दी। मैं ईश्वर से आपको इस दुख और असमय क्षति को सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।’’ शाह ने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश आपके परिवार के साथ है।