यहां उल्लू का विधि-विधान से किया गया अंतिम संस्कार, पूरे गांव ने इस तरह मनाया शोक

By IANS | Published: February 17, 2018 03:26 PM2018-02-17T15:26:23+5:302018-02-17T15:34:38+5:30

ऐसा पहली बार नहीं है जब यहां किसी जानवर का अंतिम संस्कार किया गया हो।  

bihar Supaul villagers did owls Funeral cremation viral news | यहां उल्लू का विधि-विधान से किया गया अंतिम संस्कार, पूरे गांव ने इस तरह मनाया शोक

यहां उल्लू का विधि-विधान से किया गया अंतिम संस्कार, पूरे गांव ने इस तरह मनाया शोक

सुपौल, 17 फरवरी| बिहार के सुपौल जिले के सदर प्रखंड के एक गांव में उल्लू पक्षी का विधि-विधान के साथ न केवल अंतिम संस्कार किया गया, बल्कि उसके बाद श्राद्धकर्म कर ब्रह्मभोज व सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया। सदर प्रखंड के कर्णपुर गांव स्थित प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर परिसर में बुधवार की सुबह एक घायल उल्लू पाया गया। ग्रामीणों की नजर जब उस पर पड़ी, तब सभी ग्रामीणों ने एकजुटता के साथ उसकी पशु चिकित्सक से इलाज करवाया गया, लेकिन उसे बचाया न जा सका। बुधवार की रात उल्लू की मौत हो गई। 

नववस्त्र में लपेटकर कर किया गया अंतिम  संस्कार

ग्रामीणों ने उल्लू के शव को नववस्त्र में लपेटकर विधि-विधान के साथ मंदिर परिसर में ही उसका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान बड़ी संख्या में गांव के लोग जुटे। सुपौल जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर कर्णपुर गांव निवासी एवं जाने-माने पर्यावरणविद् भगवान जी पाठक ने आईएएनएस से कहा, "उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहक माना जाता है। इस कारण भी उल्लू के अंतिम संस्कार के बाद विधि-विधान के साथ श्राद्धकर्म किया गया और मंदिर परिसर में ही कुंवारी कन्याओं व बटुक भोज के बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि गांव में ही इसके लिए राशि एकत्रित की गई थी।"

पहली बार नहीं किया गया किसी जानवर का अंतिम संस्कार 

पाठक ने कहा, "इस गांव के लिए यह कोई पहला मौका नहीं है। इससे पहले भी एक सांड़ की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कर भोज का आयोजन किया गया था। देखरेख के अभाव में पक्षियों की कई प्रजाति विलुप्त हो गईं। पहले गौरैया घर-घर पाई जाती थी, अब देखने को नहीं मिलती। उल्लू भी लुप्त हो रही पक्षी की प्रजाति में शामिल है।" भगवान पाठक ने बताया कि गांव वालों के संज्ञान में ऐसे किसी भी लावारिस पशु या पक्षी की मृत्यु के बाद सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया है। 

जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए

उन्होंने कहा, "इस कार्य का उद्देश्य गांवों में पशु-पक्षियों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाना है। गांव में आने वाले बाहर के लोग भी इस निर्णय की प्रशंसा करते हैं।"

कर्णपुर गांव के ही रहने वाले जयप्रकाश चौधरी ने आईएएनएस से कहा, "उल्लू को लक्ष्मी का वाहन माना जाता है और सभी जीवों के प्रति दयाभाव रखना मनुष्य का कर्तव्य है।"

उन्होंने कहा कि अन्य लोगों को भी इस तरह के कार्य करने चाहिए। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील होने का ज्ञान मिलेगा। 

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