बिहार: रसगुल्ले के कारण दो दिनों तक ठप रहा रेल का परिचालन, जानें पूरा मामला
By एस पी सिन्हा | Published: May 26, 2022 04:30 PM2022-05-26T16:30:51+5:302022-05-26T16:31:41+5:30
व्यापारी अगर रसगुल्ला को सड़क मार्ग से लेकर चलें तो पटना आने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 150 रुपये किराया तथा समान के लिए अलग से पैसे लगेंगे। समय भी ट्रेन की तुलना में दोगुना लगेगा। व्यापारी अगर अपनी गाड़ी बुक करते हैं तब तो साढ़े तीन से साढ़े पांच हजार रुपये तक खर्च हो जाएंगे।
पटना: रसगुल्ले के कारण बिहार में दो दिनों तक रेल चक्का जाम रहा। यह सुनकर थोड़ा आश्चर्य होगा, लेकिन यह कड़वा सच है। दरअसल ट्रेनों का ठहराव नहीं होने के कारण बड़हिया के प्रसिद्ध रसगुल्ले का व्यापार प्रभावित हो गया है। ऐसे में लखीसराय जिले के बड़हिया स्टेशन पर 10 ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर आंदोलन किया गया। रेल संघर्ष समिति के आह्वान पर रविवार सुबह नौ बजे से बड़हिया में जारी रेल चक्का जाम सोमवार की देर शाम छह बजे हटा दिया गया।
पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल के किऊल-मोकामा रेल खंड के बीच चार लाख की आबादी वाला बड़हिया स्टेशन पूरी चर्चा में रहा। यहां के लोगों ने ट्रेनों की ठहराव की मांग पर रविवार से ही ट्रैक को 32 घंटों तक जाम रखा। जिस वजह से रेलवे को दर्जनों ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और दर्जनों ट्रेनों का रूट डाइवर्ट करना पड़ा था। लेकिन रेल प्रशासन के साथ आंदोलनकारियों की वार्ता के बाद ट्रैक पर से धरना को हटाते हुए टेंट आदि को हटा रेल परिचालन प्रारंभ करने की स्वीकृति दे दी गई।
बताया जाता है कि रसगुल्ला की बिक्री कम होने के कारण स्थानीय बाजार में मंदी दिखने लगी थी। इससे पेरशान स्थानीय लोगों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया। इस कारण करीब 32 घंटे तक हावड़ा-दिल्ली रेल खंड पर ट्रेनों का आवागमन प्रभावित रहा। इस दौरान 74 ट्रेनों का परिचालन स्थगित करना पड़ा। आंदोलन के दौरान पटना व किउल के बीच ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह ठप रहा। यह आंदोलन उन 10 ट्रेनों के पहले की तरह ठहराव की मांग को लेकर था, जो कोरोना काल के पहले यहां रुकती थीं।
यहां उल्लेखनीय है कि लखीसराय के बड़हिया के रसगुल्ला की बिहार में अलग पहचान है। यहां के सस्ता और बढ़िया रसगुल्ला की मांग बिहार ही नहीं, राज्य के बाहर झारखंड़ और उत्तर प्रदेश तक रहती है। शादी या किसी खास मौके पर यहां के रसगुल्ले दूर-दूर तक लोग ले जाते हैं। ट्रेनों से रसगुल्ले का व्यापार आसान व सस्ता है। रसगुल्ला के व्यापारियों का कहना है कि ट्रेन से बड़हिया से पटना आने का किराया 55 रुपये है और समय भी केल दो घंटे लगता है। यात्री अपने साथ सामान (रसगुल्ला) भी ले जा सकते हैं।
व्यापारी अगर रसगुल्ला को सड़क मार्ग से लेकर चलें तो पटना आने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 150 रुपये किराया तथा समान के लिए अलग से पैसे लगेंगे। समय भी ट्रेन की तुलना में दोगुना लगेगा। व्यापारी अगर अपनी गाड़ी बुक करते हैं तब तो साढ़े तीन से साढ़े पांच हजार रुपये तक खर्च हो जाएंगे। शादी के मौसम में मांग बढ़ने पर यह खर्च और अधिक हो जाता है। बड़हिया जैसे छोटे से कस्बे में रसगुल्ले की करीब तीन सौ स्थाई दुकानें हैं।
मांग बढ़ने पर इसकी संख्या और बढ़ जाती है। कोरोना संक्रमण काल में बड़हिया में ट्रेनों का ठहराव बंद होने का असर रसगुल्ला के व्यवसाय पर पड़ा। लेकिन महामारी के खत्म होने के बाद भी ट्रेनों का ठहराव अभी तक नहीं दिया गया था। रसगुल्ला बड़हिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके सहारे यहां एक स्थानीय बाजार चल रहा है। ट्रेनों का ठहराव बंद होने के कारण रसगुल्ला की बिक्री कम हो गई तो बाजार भी प्रभावित हो गया। इससे लोग आंदोलन पर उतर आए।