बिहार में शराब माफियाओं पर गोली बरसाएंगे मद्य निषेध विभाग के दारोगा और सिपाही!, डेहरी ऑनसोन के बीएमपी-2 में हथियार चलाने की ट्रेनिंग

By एस पी सिन्हा | Published: June 2, 2023 05:33 PM2023-06-02T17:33:30+5:302023-06-02T17:34:30+5:30

बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी है। इन वर्षों में शायद ही ऐसा कोई दिन गया हो, जब किसी न किसी कोने में शराब जब्ती नहीं हुई हो।

bihar doraga and constables Prohibition Department will shoot at liquor mafia Weapon training in BMP-2 of Dehri On son | बिहार में शराब माफियाओं पर गोली बरसाएंगे मद्य निषेध विभाग के दारोगा और सिपाही!, डेहरी ऑनसोन के बीएमपी-2 में हथियार चलाने की ट्रेनिंग

जानकारी के अनुसार नाइन एमएम की बंदूक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

Highlightsहर कर्मचारी को निशाने पर दागने के लिए 25 गोलियां दी जा रही हैं।साढ़े तीन सौ से अधिक कर्मी ट्रेनिंग का हिस्सा बन रहे हैं।जानकारी के अनुसार नाइन एमएम की बंदूक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

पटनाः बिहार में शराब माफिया के आतंक से मद्य निषेध विभाग के कर्मचारियों को बचाने के लिए बिहार सरकार इन्हें गोली चलाने की ट्रेनिंग दे रही है। मद्य निषेध के दरोगा, एएसआई और अन्य पदाधिकारी डेहरी ऑनसोन के बीएमपी-2 में आज से हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं जो 10 जून तक चलेगा।

इसमें हर कर्मचारी को निशाने पर दागने के लिए 25 गोलियां दी जा रही हैं। साढ़े तीन सौ से अधिक कर्मी ट्रेनिंग का हिस्सा बन रहे हैं। ट्रेनिंग के दौरान शराब माफिया के हमले से बचने के तरीके के साथ निशाने पर गोली चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नाइन एमएम की बंदूक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

हर कर्मचारी को निशाने पर दागने के लिए 25 गोलियां दी जाएंगी। मद्य निषेध कर्मियों का बैच बनाकर ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है। बिहार सरकार की ओर से दावा किया गया है कि हर महीने तकरीबन दो लाख के आसपास छापेमारी होती है। वहीं 1 अप्रैल 2022 से मई महीने तक कुल 1 लाख 58 हजार लोगों को जेल भेजा गया है।

उन्होंने कहा है कि 5 साल की सजा पाने वालों की कुल संख्या 287 जबकि 6 साल की सजा पाने वाले की संख्या 28, वहीं सात साल की सजा पाने वालों की संख्या 43 और दस साल की सजा पाने वाले बदमाशों की संख्या 37 है। बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी है। इसके बावजूद इन वर्षों में शायद ही ऐसा कोई दिन गया हो, जब बिहार के किसी न किसी कोने में शराब जब्ती नहीं हुई हो।

यहां तक कि राज्य की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार कई प्रकार की सख्ती दिखाने और जागरूकता के बाद भी न तो शराब की तस्करी रोक पाई है और ना ही शराब पीने वाले बाज आ रहे हैं। जबर्दस्त सख्ती के बाद भी बिहार में शराब से जुड़े मामलों में कमी आई हो ऐसा नहीं लगता।

क्योंकि इन्हीं आकड़ों को देखकर पता चलता है कि शराब तस्कर और शराब पीने वालों में कानून का पालन करने को लेकर कोई खास रूचि नहीं है। इस बीच मद्य निषेध विभाग के कर्मियों की ट्रेनिंग पर भाजपा ने तंज कसा है। पार्टी ने कहा है कि नीतीश सरकार ने पुलिस के हाथ बांध रखे हैं। खुली छूट नहीं दी। बिहार के पड़ोसी राज्य यूपी से बिहार को सीखने की जरूरत है। यूपी की पुलिस किस तरीके से काम करती है। योगी सरकार माफियाओं को ध्वस्त कर रही है।

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