Anugrah Narayan Road Ghat Station: अनोखा रेलवे स्टेशन, साल में केवल 15 दिन ही ठहरती हैं ट्रेन, जानें क्या है माजरा
By एस पी सिन्हा | Updated: May 30, 2024 16:12 IST2024-05-30T16:11:21+5:302024-05-30T16:12:26+5:30
Anugrah Narayan Road Ghat Station: बुकिंग काउंटर के बदहाल हो जाने के बाद रेलवे ने अपने स्टाफ को भी यहां से हटा लिया है। यह स्टेशन साल में 15 दिन गुलजार रहता है।

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Anugrah Narayan Road Ghat Station:बिहार में रेलवे का एक ऐसा भी स्टेशन है, जहां साल में मात्र 15 दिन ही ट्रेनें रूकती है। पूर्व मध्य रेल के दीनदयाल उपाध्याय मंडल(पूर्व में मुगलसराय मंडल) के अंतर्गत ग्रैंड कॉर्ड रेल लाइन में मुगलसराय-गया रेलखंड पर स्थित “अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन” जो बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है। अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन ब्रिटिश कालीन है। अंग्रेजों के शासनकाल में यहां बुकिंग काउंटर बनाए गए थे। पितृपक्ष मेला शुरू होते ही यहां ट्रेनों का ठहराव शुरू हो जाता है। 26 साल पहले तक यहां रेलवे टिकट मिलता था। लेकिन, अब बुकिंग काउंटर खंडहर में तब्दील हो चुका है। बुकिंग काउंटर के बदहाल हो जाने के बाद रेलवे ने अपने स्टाफ को भी यहां से हटा लिया है। यह स्टेशन साल में 15 दिन गुलजार रहता है।
पूरे साल में 15 दिन इस रेलवे स्टेशन पर लोगों भी भारी भीड़ होती है। पितृपक्ष के दौरान यहां ट्रेनें रुकती हैं, यात्री यहां उतरते हैं और यहां से यात्रा भी शुरू करते हैं। खास बात यह भी है कि यहां से जो यात्री अपनी यात्रा शुरू करते हैं, उनके पास टिकट नहीं होता है। लिहाजा हर दिन ये ‘बेटिकट’ यात्री रेलवे मजिस्ट्रेट व टीटीई के शिकार होते हैं।
बेटिकट पकड़े जाने पर उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है, कभी-कभी जेल भी जाना पड़ता है। यहां बुकिंग काउंटर तो है, लेकिन रेलवे का कोई स्टाफ नहीं रहता, जिससे टिकट नहीं मिल पाता है। जानकार बताते हैं कि अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन को पुनपुन नदी में पूर्वजों के पिंडदान के लिए आने वाले लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
इसलिए इस स्टेशन पर पूरे साल में केवल पितृपक्ष के दौरान ही ट्रेने ठहरती हैं। ‘पितृपक्ष स्पेशल’ इस स्टेशन पर किसी रेलकर्मी की स्थायी तैनाती नहीं है। हालांकि पितृपक्ष के दौरान यहां चार-पांच कर्मियों की अस्थाई तैनाती होती है। इस संबंध में जानकारी हासिल करने का प्रयास करने पर पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सतीश चंद्र ने यह सलाह दे डाली कि दीनदयाल उपाध्याय मंडल के वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक से बात करें। लेकिन कई बार प्रयास करने के बावजूद वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।