पीएम मोदी और इसरो चीफ के. सिवन के गले मिलने को अमूल ने अनोखे अंदाज में किया सलाम, कहा- 'मिशन जल्द ही पूरा होगा'
By पल्लवी कुमारी | Published: September 11, 2019 04:13 PM2019-09-11T16:13:52+5:302019-09-11T16:13:52+5:30
इसरो 'चंद्रयान-2' का लैंडर विक्रम का सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था।
चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का संपर्क टूट गया था। इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसरो के हेडक्वार्टर बेंगलुरू गये थे। इस दौरान पीएम मोदी ने इसरो के चेयरमैन के सिवन को गले पीठ थपथपाते हुये हौसला बढ़ाया। जिसकी तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इसी गले मिलने की तस्वीर को अमूल ने अनोखे अंदाज में नमन किया है। फिलहाल इसरो 'चंद्रयान-2' का लैंडर 'विक्रम' से संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। विक्रम का सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था।
अमूल ने बड़े ही क्रिएटिव तरीके से पीएम मोदी और के. सिवन के गले मिलने की तस्वीर शेयर की है। तस्वीर पर लिखा हुआ है- चांद-तारों को छूने की आसां, अमूल को हमेशा गर्व है।
अमूल द्वारा बनाए गए इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा गया है, ' अमूल टॉपिकल: सपना जिंदा रहता है... मिशन जल्द ही पूरा होगा!'
#Amul Topical: The dream lives on... the mission will be accomplished soon! pic.twitter.com/T3LSBjeena
— Amul.coop (@Amul_Coop) September 9, 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम लैंडर को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी
इसरो 'चंद्रयान-2' का लैंडर 'विक्रम' से संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। जो हार्ड लैंडिंग के बाद इस समय चंद्रमा की सतह पर है। इसरो ने कहा है कि वह ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। मिशन से जुड़े इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी गईं तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक ‘हार्ड लैंडिंग’ थी। लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं। वह झुकी हुई स्थिति में है।
इसरो ने कहा, हम लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यहां इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक टीम इस काम में जुटी है।