क्या केजरीवाल के आगे बीजेपी-कांग्रेस ने हार मान ली है ?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2020 03:33 PM2020-01-22T15:33:44+5:302020-01-22T15:34:12+5:30
दिल्ली विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुख्य विरोधी दल भाजपा और कांग्रेस ने नयी दिल्ली सीट से नए चेहरों पर दांव लगाया है। भाजपा की दिल्ली इकाई के युवा मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव और कांग्रेस से रोमेश सभरवाल नयी दिल्ली की प्रतिष्ठित सीट पर केजरीवाल को चुनौती देंगे। सभरवाल लंबे समय से कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से जुड़े रहे हैं। पहले केजरीवाल के सामने दोनों ही दलों की तरफ से किसी चौंकाने वाले उम्मीदवार के नाम का ऐलान किये जाने की उम्मीद की जा रही थी हालांकि ऐसा हो नहीं पाया। भाजपा ने नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने से कुछ घंटों पहले मंगलवार को 44 वर्षीय यादव की उम्मीदवारी की घोषणा की वहीं कांग्रेस ने सोमवार रात को 56 साल के सभरवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया।
सुनील यादव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं और पेशे से वकील हैं। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की बहुलता वाली नई दिल्ली विधानसभा सीट पर पार्टी की जीत की संभावनाएं बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि वह (यादव) एक हल्के प्रत्याशी नहीं है। नई दिल्ली भाजपा के लिए बेहद अनुकूल है, क्योंकि इस विधानसभा के मतदाता भाजपा के मजबूत समर्थक हैं। दिल्ली कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सभरवाल पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और सरकारी कर्मचारियों के परिवार से आते हैं। उनकी मां एक शिक्षिका थीं और पिता लिपिक। वह 1980 के दशक से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। वह पूर्व में एनएसयूआई और भारतीय युवा कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।
दिल्ली में 8 फरवरी को वोट डाले जायेंगे.. विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, भाजपा के विजेंदर गुप्ता और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली समेत करीब 600 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
भाजपा विधानसभा चुनावों में भी 2019 के लोकसभा चुनावों वाली अपनी सफलता दोहराना चाहती है, जब उसने सातों लोकसभा सीट बड़े अंतर से जीती थीं। बीजेपी ने दिल्ली में भी मोदी मौजिक का ही आसरा है.. उसने अपने अनुभवी उम्मीदवारों पर दांव लगाने के साथ ही केंद्र के नेतृत्व वाली पार्टी की सरकार के काम पर मतदाताओं से वोट मांगने का फैसला किया है। बीजेपी के 67 उम्मीदवारों में से 30 से ज्यादा पूर्व में विधायक रह चुके हैं या चुनाव लड़ चुके हैं। भाजपा ने सहयोगी जदयू और राम विलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी को भी हिस्सेदारी दी है। उसकी पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने हालांकि सीएए के मुद्दे पर मतभेद के कारण चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। दूसरी तरफ 2015 के विधानसभा चुनावों में खाता भी नहीं खोल पाई कांग्रेस को इस बार किस्मत के साथ देने की उम्मीद है और वह शीला दीक्षित सरकार के ‘‘अच्छे कामों’’ के भरोसे चुनाव में उतर रही है। कांग्रेस ने दिल्ली में चार सीटें सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के लिये छोड़ी हैं जो पूर्वांचलियों की खासी संख्या वाली-बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम- सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि पार्टी को आठ फरवरी को होने वाले चुनावों में केजरीवाल सरकार को हटाने का पूरा भरोसा है।