मोदी-शाह के सामने दिल्ली की दीवार बने केजरी'वॉल' की पूरी कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 13, 2020 02:51 PM2020-02-13T14:51:24+5:302020-02-13T14:51:24+5:30
केजरीवॉल नाम तो सुना ही होगा. कल जीत के बाद जब जनता के सामने आए तो दिल्ली की मोहब्बत के बदले जनता को सरेआम फ्लाइंग किस हवा में उछाल दिया. ये थे दिल्ली की तख्त पर तीसरी बार बैठने वाले अरविंद केजरीवाल. सीएम दिल्ली के हैं लेकिन उनकी जड़ें जुड़ी हैं हरियाणा से. आइए जानते हैं अरविंद केजरीवॉल की पूरी कहानी . नमस्कार आप देख रहे हैं लोकमत न्यूज़ और ये वीडियो पूरा देखने से पहले हमारे चैनल को सब्सक्राईब कर लें. केजरीवाल का जन्म हरियाणा में 16 अगस्त 1968 को हिसार जिले के सिवानी मंडी में गोबिंद राम केजरीवाल और गीता देवी के घर हुआ था. जिस दिन केजरीवाल का जन्म हुआ उस दिन जन्माष्टमी थी. नन्हें बालक के घर आने की खुशी में पूरे घर में जमकर जश्न मना. घर में सभी अरविंद को कृष्ण कहकर बुलाते थे.1947 से पहले अरविंद केजरीवाल के दादा मंगलचंद हिसार के सिवानी मंडी से 4 किलोमीटर दूर खेड़ा गांव में आकर बस गये थे. केजरीवाल के दादा मंगलचंद ने अपने इलाके में दाल मिल का काम शुरू किया. केजरीवाल के दादा मंदलचंद के पांच लड़के थे. अरविंद के पिता गोविंदराम, मुरारीलाल, राधेश्याम, गिरधारी लाल और श्यामलाल..केजरी के पिता गोविंदराम ने जिंदल उद्योग में काम शुरू किया. कुछ दिनों बाद गोविंदराम की शादी गीता देवी से हुई. कुछ सालों बाद एक जन्माष्टमी के दिन उनके घर उनके सबसे बड़े बेटे अरविंद केजरीवाल का जन्म हुआ. अरविंद केजरीवाल अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं.अरविंद केजरी वाल के पिता गोविंद राम केजरीवाल बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. पिता का ट्रांसफर होने के चलते केजरीवाल का बचपन गाजियाबाद, हिसार और सोनीपत में बीता. उन्होंने हिसार के कैंपस स्कूल में पढ़ाई की . अरविंद बचपने से पढ़ाई में अच्छे थे पहले ही अटेम्ट में अरविंद का एडमिशन आईआईटी खड़गपुर में हो गया. आईआईटी में मैकेनिकल इंजिनियर को चुना. आईआईटी से निकल कर अरविंद ने टाटा स्टील में नौकरी शुरू की. जल्दी ही अरविंद केजरीवाल ने सिविल सर्विसेज़ में जाने के लिए टाटा स्टील की नौकरी से इस्तीफा दे दिया. 1993 में अरविंद ने सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा पास कर ली और उन्हें मिला आईआरएस. केजरीवाल ने कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केंद्र में भी कुछ समय बिताया. अरविंद केजरीवाल शुद्ध शाकाहारी हैं और विपश्यना के साधक है.अरविंद केजरीवाल ने सरेआम दिल्ली की जनता को आई लव यू बोला लेकिन अपनी पत्नी सुनीता को शादी के लिए प्रपोज करना इतना आसान नहीं था. दोनों की लवस्टोरी की शुरूआत आईआरएस की ट्रेनिंग के बीच ही हो गयी. ट्रेनिंग के दौरान ही दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे . अरविंद और सुनीता नागपुर की ट्रेनिंग एकेडमी घंटों साथ रहते थे.. घंटों साथ बिताने बाद भी अरविंद सुनीता को प्रपोज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. लेकिन एक दिन हिम्मत कर के ट्रेनिंग एकेडमी के गार्डन दोनों एक दूसरे से दिल की बात कह दी .
इस प्रेम कहानी में ज्यादा अड़चन नहीं आई. अगस्त में सगाई हुई और नवंबर 1994 में दोनों की शादी हो गई. 1995 में ट्रेनिंग खत्म होने कर दोनों दिल्ली आ गए . दिल्ली में ही बेटी हर्षिता का और 2001 में बेटे पुलकित का जन्म हुआ.राजनीति अरविंद केजरीवाल के खून में तो थी लेकिन वो राजनीति में आए थोड़ा घूम कर. केजरीवाल के दादा मंगलचंद भी राजनीति में दखल रखते थे. एक वक्त हरियाणा की राजनीति में बंसीलाल का दबदबा था.1977 के लोकसभा चुनावों में भिवानी लोकसभा से बंसीलाल को हराने में अरविंद केजरीवाल के दादा मंगलचंद का बड़ा रोल था. अरविंद केजरीवाल के चाचा गिरधारीलाल ने मीडिया को बताया कि केजरीवाल के दादा मंगलचंद ने बंसीलाल को हराने के लिए अपनी दुकान में ही उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही चंद्रावती का चुनाव प्रचार ऑफिस खोल दिया. इतना ही नहीं इलाके के घर घर जाकर चंद्रावती के लिए वोट मांगे.1999 में, केजरीवाल ने परिवर्तन नामक एक एनजीओ बनाया जिसका मकसद लोगों को बिजली, आयकर और खाद्य राशन से संबंधित मामलों में सहायता प्रदान करना है. जमीनी स्तर पर गरीबों को सशक्त बनाने और आरटीआई लागू करने में अपने योगदान के लिए 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता. यहां मिली पुरस्कार राशि के पैसे से 2006 में एनजीओ 'पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की.भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन के दौरान अरविन्द केजरीवाल और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के दूरियां बढ़ने लगीं. अन्ना हजारे चाहते थे कि जन लोकपाल आंदोलन राजनीतिक रूप से तटस्थ रहे जबकि केजरीवाल चाहते थे कि हमें राजनीति में शामिल होना चाहिए. तब इंडिया अगेंस्ट करप्शन नामक एक संगठन के बारे में केजरीवाल ने सर्वे करवाया. सर्वे के नतीजों ने केजरीवाल को पार्टी बनाने का साफ संकेत दिया. केजरीवाल के राजनीति में जाने के फैसले को शांति भूषण तथा प्रशान्त भूषण का समर्थन हासिल था जबकि संतोष हेगड़े और किरण बेदी जैसे अन्य लोगों ने इसका विरोध किया. 2 अक्टूबर 2012 को महात्मा गाँधी की जयंती पर केजरीवाल ने राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी के गठन की घोषणा कर दी.
पार्टी ने 4 दिसंबर 2013 को दिल्ली विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़ा. अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में शीला दीक्षित को हराया, जो तीन लगातार बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी. 28 दिसंबर 2013 को केजरीवाल ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. केजरीवाल सरकार केवल 49 ही चली फरवरी 2014 में केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया.फरवरी में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आप ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. केजरीवाल भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ उत्तर प्रदेश के वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, इस चुनाव में करीब चार लाख मतों से केजरीवाल की हार हुई.9 महीने बाद, दिल्ली में चुनावों का एलान हो गया. आप ने 2013 के चुनावों में 69 उम्मीदवारों की तुलना में दिल्ली के सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. आप ने अपने कैंपेन के खातिर पैसे जुटाने के लिए नये तरीके आजमाए .जैसे कि सदस्यता प्राप्त करने के माध्यम से केजरीवाल के साथ लंच और डिनर. पार्टी को जनता से भी ऑनलाइन तरीके से खूब पैसा मिला दिल्ली में 7 फरवरी 2015 को फिर से चुनाव हुए जिसमें 67.14 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान हुआ. तीन दिन बाद, 10 फरवरी 2015 को आप ने लगभग सभी यानी 67 सीटें पर “झाड़ू” फेर दी बीजेपी को 3 जबकि कांग्रेस और अन्य पार्टियाँ का तो अपना वजूद भी नहीं बचा. केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दिल्ली के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने का फैसला लिया.