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जेल में टॉर्चर दया का आधार नहीं -SC

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 29, 2020 01:27 PM2020-01-29T13:27:58+5:302020-01-29T13:29:28+5:30

निर्भया के दोषी मुकेश की फांसी से बचने की कोशिश नाकाम हो गयी हैं..सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के एक दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील ठुकरा दी.. तीन जजों की एक पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका का जल्दी निपटारा किए जाने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने सोच-समझकर फैसला नहीं किया.. पीठ ने कहा कि निर्भया मामले में सुनवाई अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले सहित सारे रिलेवेंट रिकॉर्ड राष्ट्रपति के सामने गृह मंत्रालय की ओर से पेश किए गए..अदालत ने ये भी कहा कि जेल में कथित पीड़ा का सामना करने को राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के खिलाफ आधार नहीं बनाया जा सकता ..

सुप्रीम कोर्ट में कल हुई सुनवाई में सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस आरोप का गलत बताया कि दोषी मुकेश कुमार सिंह को जेल में एकांत में रखा जा रहा है.. मेहता ने कहा कि इस तरह के मामलों में न्यायिक समीक्षा का सुप्रीम कोर्ट का अधिकार बहुत ही सीमित है और दोषी की दया याचिका पर फैसले में विलंब का अमानवीय असर पड़ सकता था.. इससे पहले, दोषी मुकेश कुमार सिंह की ओर से वकील अंजना प्रकाश ने दावा किया कि उसकी दया याचिका पर विचार के समय राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये..इस पर पीठ ने मुकेश के वकील से सवाल किया कि वो ये दावा कैसे कर सकती हैं कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पर विचार के समय सारे तथ्य नहीं रखे गये थे.. पीठ ने सवाल किया, ‘‘आप कैसे कह सकती हैं कि ये तथ्य राष्ट्रपति महोदय के समक्ष नहीं रखे गये थे? आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया?’’ दोषी के वकील ने जब यह कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये थे तो सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारा रिकार्ड, साक्ष्य और फैसला पेश किया गया था.. मुकेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका अस्वीकार करने में प्रक्रियागत खामियां हैं और उसके मामले में विचार करते समय उसे एकांत में रखने सहित कुछ  परिस्थितियों और प्रक्रियागत खामियों को नजरअंदाज किया गया..
 दिल्ली में दिसम्बर 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी है.  इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी.
 

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