रास्ता निकालने शाहीन बाग पहुंचे वार्ताकार, एक-दूसरे को सुना, कहा कल फिर आएंगे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 19, 2020 09:41 PM2020-02-19T21:41:38+5:302020-02-19T21:41:38+5:30
शाहीन बाग सरकार का रास्ता देखता रहा लेकिन वो नहीं आए. शाहीन बाग सरकार के पास जाना चाहता था लेकिन रास्ता फिर बंद कर दिया गया. इस रोड़े-कांटे के बीच शाहीन बाग का रास्ता निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन दोपहर तीन बजे के आस-पास शाहीन बाग में प्रदर्शकारियों से आमने-सामने बात करने पहुंचे. सरकार और लोगों के बीच बंद रास्ते खोलने पहुंचें वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वो सिर्फ आप से बात करने आए हैं, कोई फैसला करने नहीं आए हैं.
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वार्ताकारों ने पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी तैनाबात शुरू हो इससे पहले वार्ताकारों ने अपनी तैनाती वाला फैसला पढ़ कर सुनाया. प्रदर्शनकारियों ने भी वार्ताकारों का तहे दिल से स्वागत किया और उन्हें फूल भेंट किए. बात आगे बढ़ती इससे पहले पेंच ये फंस गया कि ये बातचीत मीडिया की मौजूदगी में हो या मीडिया के बिना . संजय हेगड़े ने कहा कि बिना मीडिया के ही बात संभव हैं. शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारी पहले तो मीडिया की मौजूदगी के मसले पर बंटे थे लेकिन अंत में तय यही हुआ कि मीडिया के बिना ही बात संभव है. बाद में मीडिया को बातचीत के बारे में ब्रीफ कर दिया जाएगा. साढ़े चार बजे तीसरे वार्ताकार वजाहत हबीबुल्ला का भी पहुंचना तय था. साधना रामचंद्रन ने कहा हम बस आपकी बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुचाएंगे कि आप लोग चाहते क्या हैं. मंच से वार्ताकार बीच-बीच में अपनी बात कहते जा रहे थे. वो कह रहे थे कि हम बोलेंगे कम, आप को सुनेंगे ज़्यादा. साधना रामचंद्रन ने कहा क्या आप चाहते हैं कि हम आपसे बात करें अगर आप नहीं चाहेंगे तो हम सुप्रीम कोर्ट को बोल देंगे कि आप बात करना नहीं चाहते. प्रदर्शनकारियों की भीड़ से ज़ोर से चाहते हैं हम की आवाज़ आई . वार्ताकारों को पता चल चुका था कि प्रदर्शनकारी बात करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन के आपके अधिकार को बरकरार रखा है, हम सबकी बात सुनेंगे . साधना रामचंद्रन ने कहा हमारा देश हिंदुस्तान इस लिए हैं क्यों हम सब की बात करते हैं सुनते हैं. हम ऐसा हल निकालेंगे कि ना सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल होगा. प्रदर्शन पर सलाह जैसा देते हुए कहा कि हक वहीं तक हैं जहां तक दूसरों को दिक्कत ना हो. इन सबके बीच चार बजे तक अफरा तफरी थी , मीडिया वहां मौजूद थी. टीवी चैनल लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे. पल पल की खबरें दिखा रहे थे. दादियों ने मोर्चा संभाला, बातचीत के दौरान दादियों ने अपनी बात रखनी शुरू की, उन्होंने कहा कि वो खुशी-खुशी यहां नहीं बैठी हैं. एक दादी ने कहा जब स्कूल की बसें, एंबुलेंस आती हैं तो रास्ता खोल दिया जाता है. पुलिस ने ही तीन तरफ से रास्ता बंद किया है. रास्ता तो पुलिस को खोलना चाहिए. दादी का कहना है कि हमने डेढ़ सौ मीटर का ही रेंज घेरा है , बाकी के बैरिकेड दिल्ली और यूपी पुलिस ने लगाए हैं. नागरिकता कानून और एनआरसी उनका हक छीनता है, बात हमारे हक की है. ये बात सुन कर प्रदर्शनकारियों के बीच से आती तालियों की आवाज़ और तेज़ हो जाती है. और दादी दादी की आवाज़ बुलंद हो जाती है. प्रदर्शनकारियों की भीड़ से आ रही दादी दादी की आवाज़ अब इंकलाब जिंदाबाद के नारों ने ले ली.
लगभग दो घंटे तक शाहीन बाग और वार्ताकारों ने एक दूसरे को सुना. कहने-सुनने के बाद जब वार्ताकार जाने लगे तो साधना रामचंद्रन का कहना था कि हम मिले, हमने बात की. हमने शाहीन बाग के लोगों से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि हम कल भी यहां आएं क्यों कि एक दिन में सारी बात नहीं हो सकती. तब शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वो कल भी जरूर आएं . वार्ताकारों का कहना है कि वो कल भी आएंगे. प्रदर्शनकारी नये संशोधित नागरिकता कानून को लेकर बीते दो महीने से धरने पर बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग से जुड़े मामले की सुनवाई 24 फरवरी को होनी है
वार्ताकारों की नियुक्ति वकील अमित साहनी द्वारा शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने की खातिर दायर जनहित याचिका पर हुई है. याचिका में दावा किया गया है कि शाहीन में बैठे प्रदर्शनकारियों गैरकानूनी तरीके से सड़क पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे दिल्ली से नोएडा का रास्ता ब्लॉक हो गया है. हक की बात करने वाले लोग सड़क पर हैं लेकिन बात बस सड़क खुलवाने की हो रही है. खैर आज खिड़की खुली है नीयत साफ हो तो उम्मीद हैं कल रास्ता भी निकल ही आएगा.