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Farmers Protest: पत्रकार Mandeep Punia अपनी टांगों पर लिख लाए जेल में बंद किसानों से बातचीत के notes

By प्रतीक्षा कुकरेती | Updated: February 5, 2021 12:21 IST

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 सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) द्वारा गिरफ्तार किए गए इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट मनदीप पुनिया (Mandeep Punia) को दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में जमानत दे दी है. जेल से बाहर आकर मनदीप पुनिया ने कहा है कि वे पत्रकारिता के प्रति अपने कर्तव्य को निभाना पहले की तरह जारी रखेंगे. मनदीप पुनिया दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को कवर कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने उन्हें बीते शनिवार सिंघु बॉर्डर से गिरफ़्तार कर लिया था. उन पर सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारी पर हमला करने, जान-बूझकर व्यवधान डालने और गै़र-क़ानूनी हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए गए थे. दिल्ली पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ भारतीय दण्ड संहिता की धारा -186, 353, 332 और 341 के तहत मुक़दमा दर्ज किया है. जेल से बाहर आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मंदीप पुनिया ने कई चौकाने वाली बातें बताई. उन्होंने कहा कि जेल के अंदर रहना मेरे लिए एक अवसर बनकर आया है। मुझे जेल में बंद किसानों से बात करने का मौका मिला और मैंने उनसे हुई बातचीत के अंश अपनी टांगों पर लिख लिए। मैं अपनी खबर में इस बारे में विस्तार से लिखूंगा। उन्होंने कहा कि मेरा काम ग्राउंड जीरो से खबर देना है। मैंने किसानों से पूछा कि उन्हें क्यों और कैसे गिरफ्तार किया गया? NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार मंदीप  पुनिया ने बताया कि पुलिसवाले कह रहे थे कि इसको तो हम रिपोर्ट करवाएंगे. कई दिनों से उछल रहा है. कूट कूटकर बड़ा रिपोर्टर बनाएंगे. फिर मुझे टैंट में ले गए वहां भी मारा. मेरा कैमरा और फोन तोड़ दिया. उसके बाद मुझे सफेद स्कॉर्पियो में डालकर अलग-अलग थानों में घुमाने लगे. फिर रात को दो बजे मेडिकल करवाने ले गए. वहां भी डॉक्टर से बार बार बोल रहे थे कि ये स्टाफ का मामला है आप देख लीजिए. मगर डॉक्टर ने शायद वीडियो देखा होगा. उन्होंने पुलिसवालों को कहा कि आप पीछे हट जाएं. मैं इसका पूरा मेडिकल करूंगा. मैं डॉक्टर को धन्यवाद देना चाहता हूं. सारे मेडिकल के बाद साढ़े 3 बजे मुझे  हवालात में बंद कर दिया गया.   वही बीबीसी को दिए इंटरव्यू में पुनिया कहते हैं, "मैं उन सभी पत्रकार बंधुओं का शुक्रिया अदा करूंगा जो मेरे साथ खड़े रहे. ईमानदार रिपोर्टिंग की इस वक़्त हमारे देश को बहुत ज़रूरत है. मगर ऐसे समय में, जब सरकार लोगों से कुछ छिपाना चाह रही हो, तब पत्रकारिता करना मुश्किल हो जाता है. सत्ता को सच का पता होता है, पर वह सच लोगों को पता चलना चाहिए. पत्रकारिता का पेशा, कोई ग्लैमर से भरपूर पेशा नहीं है. ये बड़ा मुश्किल काम है और इस मुश्किल काम को भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बड़ी ईमानदारी से किया जा रहा है." वही इसके बाद मंदीप पुनिया ने एक ट्वीट भी किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि एक पत्रकार के रूप में सच्चाई और ईमानदारी से खबर देना मेरी जिम्मेदारी है। मैं बस वही कर था। मैं प्रदर्शन स्थल पर हमला करने वालों का पता लगाने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तारी से मेरे काम में बाधा पहुंची है। मेरा कीमती समय बर्बाद हुआ है। मुझे नहीं लगता कि मैंने कोई गलत काम किया। पूनिया ने पुलिस पर उनके काम में दखल देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना से अपने काम को जारी रखने के उनके संकल्प को मजबूती मिली है।
टॅग्स :किसान आंदोलन
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