जगह-जगह फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए केंद्र पर राज्य सरकारों का भारी दबाव है. 21 दिन से लॉकडाउन के दौरान यह मजदूर इसी उम्मीद में शेल्टर होम्स में वक्त काट रहे थे कि उन्हें इसके बाद घर जाने को मिलेगा. सौभाग्यवश इनमें कोरोना संक्रमण के कोई संकेत नहीं मिले हैं. कुछ राज्यों ने तो अपने यहां के मजदूरों को लाने के लिए दो तय स्थानों के बीच सीधी बस सेवा का खर्च उठाने की भी तैयारी दिखाई है. साथ ही वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी कुछ चार्टर्ड ट्रेनों का इंतजाम करे. इन प्रवासी मजदूरों की बढ़ती बैचेनी राज्य सरकारों की चिंता की मुख्य वजह है. बेरोजगारी और घर से दूरी का दोहरा दंश झेल रहे प्रवासी मजदूरों की हिंसक प्रतिक्रिया अब आए रोज देखने को मिल रही है. महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से गुहार लगाई है कि वह मजदूरों की उनके गृह राज्यों में वापसी के लिए सख्त मानक संचालन प्रक्रिया के तहत दिशानिर्देश जारी करे.