googleNewsNext

वित्त मंत्री ने किया आर्थिक पैकेज पार्ट टू का एलान, कांग्रेस बोली खोदा पहाड़ निकला जुमला पैकेज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 14, 2020 10:34 PM2020-05-14T22:34:47+5:302020-05-14T22:34:47+5:30

 

पीएम मोदी ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के आज के एलान पर कहा कि इससे खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी तथा किसानों एवं रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण मिलेगा. वित्त मंत्री द्वारा बृहस्पतिवार को गयी घोषणाओं से खासकर किसानों एवं प्रवासी श्रमिकों को लाभ मिलेगा. सरकार ने आज प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज, किसानों को सस्ता कर्ज और रेहड़ी पटरी वालों को काम करने के लिए पूंजी कर्ज उपलब्ध कराने के लिये 3.16 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की. कोरोना वायरस ‘लॉकडाउन’ की वजह से रुके पड़ी इकॉनॉमी के पहिए को चलाने के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के दूसरे चरण के तहत यह एलान किया गया. 

तो एक बार जान लेते हैं कि वित्त मंत्री के आज के एलान में किसानों के हिस्से में क्या आया. वित्त मंत्री ने कहा कि तीन करोड़ छोटे किसान पहले ही कम ब्याज दर पर 4,22,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं. 3करोड़ किसानों के लिए के कृषि ऋण का लाभ दिया गया है उसमें पिछले तीन महीनों का लोन मोरटोरियम है.  2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 2 लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा. रबी फसलों की कटाई के बाद और मौजूदा खरीफ फसल की जरूरतों के लिये राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक यानि नाबार्ड मई और जून में 30,000 करोड़ रुपये का अलग से आपात कार्यशील पूंजी कोष किसानों को उपलब्ध कराएगा. ये पैसा  ग्रामीण सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिये उपलब्ध कराया जाएगा. कृषि उत्पादों की खरीद के लिए 6700करोड़ की वर्किंग कैपिटल भी राज्यों को उपलब्ध करवाई गई है. पिछले मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख ऋण मंजूर किए गए जिसकी कुल राशि 86600 करोड़ रुपया है जिससे कृषि क्षेत्र को बल मिला है


सराकार का ये पैकेज ना कांग्रेस को पसंद आया ना शेयर बाज़ार को. इस पैकेज के एलान के बाद कांग्रेस कहना है कि वित्त मंत्री का आर्थिक पैकेज कुछ और नहीं बल्कि, "जुमला पैकेज" है.  

टॅग्स :आर्थिक पैकेजकोरोना वायरस लॉकडाउनकोरोना वायरस इंडियाकोरोना वायरस हॉटस्‍पॉट्सप्रवासी मजदूरEconomic PackageCoronavirus LockdownCoronavirus in IndiaCoronavirus HotspotsMigrant labour