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वर्ल्ड थैलेसीमिया डे: शादी से पहले जरूर करा लें थैलेसीमिया टेस्ट वर्ना बच्चे को भुगतना पड़ेगा बुरा परिणाम

By उस्मान | Updated: May 8, 2018 11:20 IST

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 थैलेसीमिया एक जेनेटिक रोग है जो बच्चों को माता-पिता से मिलता है। इस रोग में शरीर की हीमोग्लोबिन उत्पादन प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके चलते खून की कमी हो जाती है। इस रोग में शरीर में रेड ब्लड सेल्स यानि लाल रक्त कण नहीं बन पाते हैं। इससे पीड़ित बच्चे को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है और ऐसा नहीं करने से उसकी मौत हो सकती है। सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, परंतु थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है तथा अशक्त होकर हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है। यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है और यह माता-पिता में से एक के या दोनों के जींस में गड़बड़ी होने के कारण होता है। खून में हीमोग्लोबीन दो तरह के प्रोटीन से बनता है। यह दो प्रोटीन अल्फा और बीटा हैं। इन दोनों में से किसी प्रोटीन के निर्माण वाले जींस में गड़बड़ी होने पर इस रोग का खतरा होता है। 
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