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मुंबई का डॉन करीम लाला जिसने दाऊद को धोया था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 16, 2020 05:34 PM2020-01-16T17:34:20+5:302020-01-16T17:34:20+5:30

करीम लाला... साठ से अस्सी के दशक की गैंगस्टर तिकड़ी का मशहूर डॉन 1911 में पैदा हुआ और  19 फरवरी 2002 को उसकी मौत हो गयी लेकिन वो अब फिर खबरों में हैं ..वो और उसकी बड़े नेताओं से मुलाकातें फिर कब्र से बाहर आई हैं..तो आइये जानते हैं कौन था करीम लाला
हम जिस तिकड़ी की बात कर रहे थे उसके बाकी दो डॉन थे मस्तान मिर्जा और वरदराजन मुदलियार ..अब्दुल करीम शेर खान उर्फ करीम लाला पैदा तो अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में हुआ लेकिन राज बंबई पर किया.

दो दशकों तक करीम लाला का खूंखार "पठान गैंग"  दक्षिण मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भेंडी बाज़ार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों से अपना गैंग चलाता था.. पठान गैंग  पास सट्टा और शराब की तस्करी, वसूली, अपहरण, हफ्ता वसूली , सुपारी लेकर मर्डर , और नकली नोटों जैसे सारे कांले धंधे करता था

करीम लाला पठान का परिवार अफगानिस्तान से दक्षिण मुंबई में भेंडी बाज़ार के सबसे घनी आबादी वाले और गरीब मुस्लिम बस्ती में आकर बस गया.. मुंबई में एक छोटे गुर्गे के तौर पर पठानों के एक गिरोह में शामिल हो गया. इनके निशाने पर  मारवाड़ी और गुजराती महाजन जमींदारों और व्यापारियों सब थे.

कॉट्रैक्ट किलिंग करने वाला करीम लाला का "पठान गैंग"  जल्दी ही कुख्यात हो गया.. करीम लाला के पठान ने गैंग मुबंई में  कई "कैरम क्लब" चलाए जिनका असली काम कुछ और ही था..पठान गैंग कैरम क्लब की आड़ में अवैध वसूली , जुआ और सट्टेबाजी के रैकेट के चलाता था. 

सत्तर के दशक में गैंगस्टर तिकड़ी करीम लाला ..हाजी मस्तान और वरदराजन यानि वरदा भाई के बीच एक बड़ी डील के लिए तैयार हो गए..इस डील का मकसद था मुंबई को आपस में बांट कर ..बिना किसी झगड़े के वो अपने काले धंधे कर सके..लेकिन इसके कुछ दिन बाद  मुंबई पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल इब्राहिम कासकर के दोनों  बेटे दाऊद इब्राहिम और शब्बीर इब्राहिम कासकर हाजी मस्तान की गैंग में शामिल हो गए.. दोनों ने तस्करी के धंधे के लिए करीम लाला का एरिया ही चुना.

करीम लाला इससे खफा गया और एक दिन उसने दाऊद को पकड़कर खूब पीटा ..उस दिन दाउद ने किसी तरह लाला से अपनी जान बचाई ..लेकिन फिर दाऊद ने फिर करीम लाला के इलाके में धंधा शुरू कर दिया..लाला ने अब तय कर लिया था वो दाऊद को कड़ा सबक सिखाएगा.. 1981 में पठान गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर को मार डाला..जिसका बदला लेने के लिए 1986 में  दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या कर दी..

सत्तर के दशक के अंत में खराब सेहत के कारण लाला ने धीरे-धीरे पठान गैंग की कमान अपने भतीजे सौंपनी शुरू कर दी ..लाला ने खुद को होटल और ट्रांसपोर्ट के धंधे तक समेट लिया.. हालाँकि लाला के कई नाजायज धंधे थे लेकिन उसके पास दो धंधे सफेद भी थे..जिसमें दो होटल अल करीम और न्यू इंडिया होटल..और एक ट्रैवल और पासपोर्ट एजेंसी न्यू इंडिया टूर्स एंड ट्रैवल्स थी ..लाला के अपने समय के गौंगस्टरों हाजी मस्तान और वरदराजन के साथ रिश्ते दोस्ताना थे...जिस दौर में लाला की तूती बोलती थी तो उसकी दावतों में अक्सर बॉलीवुड के कई सितारे नज़र आते थे..बॉलीवुड फिल्मों के कई किरदारों में करीम लाला की झलक देखने को मिली ..कहते हैं कि 1973 की सुपर-हिट फिल्म, जंजीर में, लेखक की जोड़ी, सलीम-जावेद का लिखा और प्राण का निभाया शेरखान का किरदार करीम लाला पर से प्रेरित था..

लाला के रसूख का आलम ये था कि वो एक साप्ताहिक "दरबार" लगाता था..जिसमें वो लोगों की फरियादें सुनता था..और इंसाफ करता था..
  

 

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