हंगामे के साथ हुआ यूपी विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज, सदन की कार्यवाही मंगलवार तक लिए हुई स्थगित
By राजेंद्र कुमार | Published: August 7, 2023 05:34 PM2023-08-07T17:34:27+5:302023-08-07T17:36:26+5:30
समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों में महंगे टमाटर और मणिपुर में हुई हिंसा पर चर्चा कराने की मांग को लेकर वेल में उतार कर नारेबाजी की। कांग्रेस और रालोद के विधायकों ने भी सपा की इस मांग का समर्थन किया। विपक्ष की इस मांग को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने ठुकरा दिया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन का आगाज हंगामे से हुआ। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों में महंगे टमाटर और मणिपुर में हुई हिंसा पर चर्चा कराने की मांग को लेकर वेल में उतार कर नारेबाजी की। कांग्रेस और रालोद के विधायकों ने भी सपा की इस मांग का समर्थन किया। विपक्ष की इस मांग को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने ठुकरा दिया। परन्तु विपक्षी नेता अपनी मांग पर अड़े रहे तो सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की गई। इसके बाद भी विपक्षी सदस्यों का विरोध जारी रहा तो सदन को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जैसी की उम्मीद थी कि मानसून सत्र की शुरुआत होते ही विपक्ष योगी सरकार को महंगे टमाटर के साथ तमाम अन्य मुद्दों पर घेरेगा, हुआ भी ऐसा ही। सदन की कार्यवाही शुरू होती ही सपा विधायकों ने "मणिपुर बर्निंग", "किसान बेहाल युवा बेरोजगार", "टमाटर दो सौ के पार-हटाओ भाजपा सरकार", जैसे नारे लिखी तख्तियां हाथ में लेकर नारेबाजी शुरू की। सपा विधायक ज़ाहिद बेग सहित तो अपने कुर्ते की ऊपर मणिपुर हिंसा के साथ टमाटर की माला पहन कर सदन में आए। विपक्षी विधायक जब सदन में महंगे टमाटर को लेकर इस तरह से विरोध कर रहे थे, उसी दरमियान सपा विधायक रविदास महरोत्रा, कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा तथा अन्य विपक्षी विधायकों ने सदन की कार्यवाही रोककर मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पीठ से इस चर्चा को कराने से इंकार कर दिया। इसके बाद सपा और रालोद के सदस्य नारेबाजी करते हुये वेल में उतर आए तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य अपनी मांग को लेकर हंगामा करने लगे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दूसरे राज्य की घटनाओं की चर्चा सदन में कराने की परंपरा नहीं है और ना ही इस संबंध में कोई नियम है। इसलिए मणिपुर पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती है। इस पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सदन में मणिपुर की हिंसा पर चर्चा कराने की मांग कर दी। उन्होने कहा कि इस मामले में सदन में चर्चा होनी चाहिये क्योंकि दुनियाभर में इस घटना की निंदा हो रही है। यह बहुत गंभीर मामला है और नेता सदन को सच्चे योगी के रूप में इस घटना की निंदा करनी चाहिए।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन को राजनीति का विषय ना बनाए। मणिपुर हिंसा की जहां निंदा होनी चाहिए थी, वहाँ बहुत निंदा हो चुकी है। अध्यक्ष के इस कथन के बाद सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा तेज हो गया और इस बीच सदन के पटल पर एक-एक कर 13 विधेयक पटल पर रखे गए। सरकार की इस कार्रवाई पर सपा के नेता लालजी वर्मा ने आपत्ति की। उनके इस कथन पर विधानसभा अध्यक्ष ने ध्यान नहीं दिया और सदन की कार्यवाही को मंगलवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया।
ब्रजेश पाठक बोले- सपा का कोई एजेंडा नहीं
सत्र खत्म होने के बाद सूबे के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष पूरी तरह से डिरेल है। उसकी कोई नीति नहीं है। एजेंडा नहीं है। हमेशा अराजकता की बातें करना विपक्षी नेताओं का काम रह गया है। गुंडई करने वालों को पल्लवित करना, हमेशा से सपा नेताओं की नीति रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चाहती थी कि पानी कम बरसा है, कुछ जिलों में बाढ़ आई है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। महंगाई और मणिपुर पर चर्चा के सवाल पर उन्होने कहा कि विपक्ष इस मामले में नोटिस दें, हम चर्चा के लिए तैयार हैं।
हम चर्चा को तैयार हैं : सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यह कहा है कि सदन में सार्थक चर्चा करनी चाहिए। सरकार हर स्तर पर जवाब देने को तैयार है। उत्तर प्रदेश ने पिछले 6 सालों के दौरान विकास की एक नई ऊंचाई को छुआ है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोगुना किया गया। बीमारू राज्य की श्रेणी से हम बाहर आ चुके हैं। पूर्वांचल के कई जिले सूखा प्रभावित हो गए है। हम इसके समाधान के मुद्दों पर चर्चा को तैयार है, पर विपक्ष सदन में चर्चा करने के बजाए हंगामा करने पर तुला है।