लखनऊः अध्यादेश के खिलाफ अखिलेश से मिले सीएम केजरीवाल, कहा-राज्यसभा में सपा करेगी विरोध!, लोकतंत्र के खिलाफ बताया, देखें वीडियो
By राजेंद्र कुमार | Published: June 7, 2023 06:50 PM2023-06-07T18:50:22+5:302023-06-07T18:51:35+5:30
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सपा मुखिया अखिलेश यादव का समर्थन मांगने पहुंचे तो उन्हे निराशा नहीं होना पड़ा.

केजरीवाल सरकार का समर्थन करते हैं और राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे.
लखनऊः केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा को लेकर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन में मिल गया.
बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सपा मुखिया अखिलेश यादव का समर्थन मांगने पहुंचे तो उन्हे निराशा नहीं होना पड़ा. अखिलेश यादव ने अरविंद केजरीवाल के कथन को सुनने के बाद केंद्र सरकार के अध्यादेश को लोकतंत्र के खिलाफ बताया.
Lucknow | Delhi CM & AAP leader Arvind Kejriwal meets Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav, to garner support against the Centre's ordinance on control of services in Delhi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 7, 2023
Punjab CM Bhagwant Mann and other AAP leaders are also present. pic.twitter.com/0KtJM07o4g
यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार केजरीवाल सरकार द्वारा शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों को देखकर डर गई है. इसलिए यह अध्यादेश लाई है. हम केजरीवाल सरकार का समर्थन करते हैं और राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे. हमारे सभी सदस्य आम आदमी पार्टी के साथ हैं.
Lucknow | If non-BJP parties come together then this ordinance can be defeated in Rajya Sabha and it will send a strong message that the Modi govt is not coming to power in 2024. I thank SP chief Akhilesh Yadav who has assured us that his party will support us in Rajya Sabha:… pic.twitter.com/LQOOuEuAoz
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 7, 2023
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं.
अब तक वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर अध्यादेश के खिलाफ उनका समर्थन हासिल कर चुके हैं.
#WATCH | Lucknow: The ordinance is anti-democratic. I want to assure CM Arvind Kejriwal that Samajwadi Party is with you and will support you: Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav on Centre's ordinance on control of services in Delhi pic.twitter.com/h8rMnD28H6
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 7, 2023
इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अपने दो प्रमुख सहयोगियों के साथ अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ में सपा मुख्यालय पहुंचे. इस मुलाक़ात में अखिलेश के साथ शिवपाल सिंह यादव और सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम तथा पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता राजेंद्र यादव ने भी हिस्सा लिया. इस मुलाक़ात में अखिलेश यादव के अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने पर सहमत हुए और इसके बाद मीडियाकर्मियों के वार्ता करते हुए इसका ऐलान भी किया.
आप के नेताओं का कथन:
अरविंद केजरीवाल और भगवंत सिंह मान ने भी मीडिया के सवालों का जवाब दिया. केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है. जिसके तहत चुनी हुई सरकार के पास ही प्रशासनिक शक्तियां रहेंगी पर केंद्र की मोदी सरकार ने अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली हैं.
हमने इस मामले में अखिलेश यादव से समर्थन मांगा है कि अगर राज्यसभा में भाजपा सरकार द्वारा लगाया गया अध्यादेश गिर गया तो 2024 के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा. अखिलेश यादव ने हमारे आग्रह पर राज्यसभा में इसका विरोध करने का वादा किया है.
इस मौके पर मौजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार के काम करने का तरीका देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है. राजभवन भाजपा के मुख्यालय बन गए हैं. जहां गैर भाजपा सरकारें हैं उन्हें राज्यपाल के जरिए परेशान किया जा रहा है. पंजाब में भी यही हो रहा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है.