Mahashivratri 2020: यहां है दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग, लकड़हारे ने की थी खोज- शिवपुराण में है इसका जिक्र
By मेघना वर्मा | Published: February 21, 2020 11:53 AM2020-02-21T11:53:07+5:302020-02-21T11:53:07+5:30
अरूणाचल प्रदेश जितना खूबसूरत है उतना ही पुराना इसका इतिहास भी है। अरुणाचल प्रदेश में ही दुनिया का सबसे ऊंचा 26 फीट का शिवलिंग स्थापित है।
देशभर में आज आस्था का सैलाब है। भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए लोग मंदिरों के बाहर लाइन लगाए खड़े हैं। महा-शिवरात्रि के पावन पर्व पर लोग अपने-अपने तरीकों से भोले बाबा को मनाने में खुश है। कोई उनका अभिषेक कर रहा है तो कोई उनका पाठ। वहीं शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने के लिए भी लोग घंटों लाइन में लगे हैं। आइए आपको बताते हैं देश के सबसे बड़े शिवलिंग के बारे में जो अरुणाचल प्रदेश के खूबसूरत वादियों के बीच है।
अरूणाचल प्रदेश जितना खूबसूरत है उतना ही पुराना इसका इतिहास भी है। अरुणाचल प्रदेश में ही दुनिया का सबसे ऊंचा 26 फीट का शिवलिंग स्थापित है। जिसे किसी ने बनाया नहीं बल्कि ये प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। इस महाशिवरात्रि आइए आपको बताते हैं इसी विशाल शिवलिंग की खासियत और इसके पीछे की कहानी-
लकड़हारे ने की थी खोज
माना जाता है कि इस विशालकाय शिवलिंग की खोज एक लकड़हारे ने की थी। इसके आकार की बात करें तो यह 26 फीट ऊंचा और 22 फीट चौड़ा है। इस शिवलिंग का 4 फीट हिस्सा जमीन के भीतर धंसा है। सिर्फ यही नहीं इसी के पास पार्वती और कार्तिकेय का मंदिर भी है। शिवलिंग के नीचले हिस्से में सदैव जल की धारा का प्रवाह होता है। इसकी प्राकृतिक छटा इसे और सुंदर बनाती है।
शिवपुराण में मिलता है जिक्र
इस शिवलिंग का जिक्र शिव पुराण में भी मिलता है। शिव पुराण के नौवें खंड के 17वें अध्याय में इसका जिक्र है। इसके अंतर्गत सबसे ऊंचा शिवलिंग 'लिंगालय' नामक जगह पर पाया जाएगा। प्राचीन समय में अरुणाचल को इसी नाम से जाना जाता है। राज्य में 1970 के करीब शुरू हुई पुरातात्विक खुदाई में धार्मिक स्थलों के मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, यह उनमें सबसे ताजा है।
महाशिवरात्रि पर होता है आस्था का महा-सैलाब
इस मंदिर और शिवलिंग के आस-पास को लोग सिद्धेश्वरनाथ मंदिर कहते हैं। जीरो घाटी की करड़ा पहाड़ी पर सिद्धेश्वर नाथ महादेव विराजते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर पूरे देश से लोग यहां पहुंचते हैं। जीरो के मुख्य बाजार हापोली से सिद्धेश्वर महादेव की दूरी 6 किलोमीटर है जिसे पैदल भी तय किया जा सकता है।