केदारनाथ धाम: भक्ति और रोमांच भरा है ये सफर, 29 अप्रैल से खुल रहे हैं कपाट

By मेघना वर्मा | Published: April 25, 2018 10:33 AM2018-04-25T10:33:36+5:302018-04-25T10:33:36+5:30

बात करें 2013 में आई त्रासदी की तो उसके निशान यहां आज भी दिखते हैं। मंदिर के ठीक पीछे नीलकंठ पर्वत पर विशाल दरार दिखाई पड़ेगी जहां से पानी मौत के रूप में आया था।

Kedarnath Yatra 2018: Starting on 29 april, PM Narendra Modi to do the pooja | केदारनाथ धाम: भक्ति और रोमांच भरा है ये सफर, 29 अप्रैल से खुल रहे हैं कपाट

केदारनाथ धाम: भक्ति और रोमांच भरा है ये सफर, 29 अप्रैल से खुल रहे हैं कपाट

हिन्दू मान्यताओं की बात करें तो वैष्णव परम्परा हो या शैव परम्परा, सभी का अपना महत्व है और इनका पालन करने वाले श्रद्धालुओं में आपको अंतर दिख जायेगा। शैव परम्परा में ज्योतिर्लिंगों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से इंसानी जीवन का मकसद सफल हो जाता है। सिर्फ यही नहीं, देश के चारों कोनो में मौजूद इन ज्योतिर्लिंगों की भी अपनी खुद की अलग-अलग मान्यताएं हैं। कोई रोग निवारण के लिए जाना जाता है तो कोई कष्ट हरने के लिए। इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है बाबा केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, इसे हिन्दू धर्म के चार मुख्य धाम में से एक माना गया है।

उत्तरखंड, हिमालय की गोद में बसा ये धाम हिन्दू अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। हर साल केदारनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोले जाते हैं इस साल ये 29 अप्रैल से खोले जाने हैं। आज हम आपको केदारनाथ धाम और उसकी यात्रा के ऐसे ही कुछ रोमांच और भक्ति विभोर कर देने वाले सफर के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप इस यात्रा के दौरान अनुभव कर पायेंगे।

कहां से शुरू होगा सफर

आप चाहें तो अपना सफर हरिद्वार से शुरू कर सकते हैं।हरिद्वार से गंगा जी भर कर आप बाई रोड केदानाथ धाम के लिए रवाना हो सकते हैं। अगर आप सुबह 8 बजे तक बस से या अपनी गाड़ी से ये सफर शुरू करते हैं तो शाम 7 बजे तक आप फाटा तक पहुंच जाएंगे।फाटा पहाड़ी वो जगह है जहां आपके रहने की सुविधा मौजूद रहती है या यूँ कहें ये यात्रा का पहला पड़ाव होता है। आप चाहें तो फाटा से अपने लिए हेलिकोप्टर भी बुक कर सकते हैं जो मात्र 20 मिनट में आपको बाबा केदार के मंदिर के पीछे छोड़ देगी।इसके लिए आपको पहले से ही इसकी ऑनलाइन बुकिंग करनी होगी।

आप चाहें तो रात भर फाटा में रुककर आपको सुबह 3 या 4 बजे तक फाटा से बाई कार ही निकलना होगा जो आगे 30 किलोमीटर पर आपको उतार देगी। हेमकुंड नाम की इस जगह से सुबह 7 बजे शुरू होगी आपकी केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा। कई जगहों पर चेकिंग होने के बाद आप चाहें तो खुद के लिए घोड़े या खच्चर कर सकते हैं।

ट्रेन में हों या कार में, सफर करते समय अपने पास जरूर रखें खाने के ये 5 आइटम

कैसा है रास्ता

दूर किसी पहाड़ से आती और आपके बगल से गुजरती साफ़ धारा वाली नदी, बड़े-बड़े पेड़ और पहाड़, लाखों की संख्या में श्रद्धालु और बादलों से भरा आकाश। नजारा आपको केदारनाथ के शुरूआती कुछ घंटों में प्रतीत होगा। आपको बाबा केदार के दर्शन के लिए 6 विशाल पहाड़ों को पार करना होता है।  जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जायंगे मौसम अपने रंग बदलता जाएगा।

दोपहर 2 बजे के बाद ऊपर पहाड़ियों पर बारिश होनी तय है इसलिए ठंडे कपड़ों के साथ अपने लिए रेन कोट रखना ना भूलें। क्रिसक्रोस के आकार की बने पहाड़ी रास्तों की बात करें तो एक ओर उंचे बर्फ के टीलें होंगे जिनसे लगातार पानी रिस रहा होगा और पहाड़ के रास्ते पर कीचड़ जैसा बन जाएगा और उसके ठीक उलटे बादलों के बीच छिपी ऐसी खाई होगी कि आप शायद उस तरफ देख भी ना पाएं। ऐसे में नजर और कदम बचाकर ही चलियेगा.

आज भी दिखते हैं त्रासदी के निशान

तमाम मुश्किलों को पार करके शाम 7 बजे तक जब आप ऊपर पहुंचेंगे तो वो अनुभव सबसे अलग होगा। हमेशा तस्वीरों या टीवी में देखने की जगह जब आप पहली बार खुद सामने से मंदिर के दर्शन करेंगे तो आपकी आंखें श्रद्धा और भक्ति से भर जाएंगी। बात करें 2013 में आई त्रासदी की तो उसके निशान यहां आज भी दिखते हैं। मंदिर के ठीक पीछे के नीलकंठ पर्वत से जो दो विशाल दरार दिखाई पड़ेगी जहां से पानी मौत के रूप में आया और ना जाने कितनों की जान ले गया।

भारत का दूधसागार नहीं देखा तो क्या देखा, इन छुट्टियों में देखें देश के 5 फेमस झरने

यहां पर कुछ होटल या धर्मशाला ऐसे भी हैं जहां की इमारते जमीन में धसी हुई हैं। आपको वो बड़ी आसानी से धसी हुई दिखाई भी देंगी।टूटे-फूटे घर, दुकाने, पानी के साथ आया पत्थर और ढेरों मलबे का सामान आज भी यहां पड़ा है।

खाने की कैसी है व्यवस्था

चूंकि इतनी उंचाई पर खाने के सामान को ले जाना काफी मेहनत का काम है तो जाहिर सी बात है यहां मिलने वाला हर सामान का रेट भी बहुत हाई होगा। सामान्य रूप से जो पानी की बोतल आपको 15 रूपए की मिलती है वो ऊपर 90 रूपए की मिलेगी। 5 रूपए का मिलने वाला बिस्किट आप को 40 रूपए तक का भी पड़ सकता है।

कैसे होंगे दर्शन

दर्शन की बात करें तो यहां बाबा केदार अपने औघड़ रूप में हैं। माईनस 3 डिग्री में अगर आपकी नहाने की हिम्मत ना हो तो आप ऐसे ही दर्शन कर सकते हैं। बाबा केदार के दर्शन रात 2 बजे से शुरू हो जाते हैं। अगर आपको खास दर्शन करना है तो आपको 5100 की पर्ची कटानी होगी जिसमें आप मंदिर के गर्भ गृह में जाकर मंदिर दर्शन और पिंडी की पूजा कर सकते हैं। नहीं तो सुबह 5 बजे कपाट खुलने के बाद ही आप बाबा भोले का दर्शन कर पाएंगे।

पीएम मोदी करेंगे सबसे पहले दर्शन

इस साल केदारनाथ के कपाट एक अनूठे अंदाज में खोलें जायेंगे, बताया जा रहा है कि, इस साल कपाट खुलने के एक दिन पहले लेजर लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जायेगा, जिसमे मंदिर से जुड़ी जानकारी दिखाई जायेंगी। बता दें, ये लाइट एंड साउंड शो 5 मई तक चलेगा।

बता दें, पिछले साल भी केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के साथ साथ पूजा अर्चाना भी की थी। रिपोर्ट्स की माने तो इस बार केदारनाथ में पीएम मोदी के साथ अन्य बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं। 

Web Title: Kedarnath Yatra 2018: Starting on 29 april, PM Narendra Modi to do the pooja

मुसाफ़िर से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे