इलाहाबाद की शान है जवाहर लाल नेहरू का आनंद भवन, आज भी दिखती है इतिहास की झलक
By मेघना वर्मा | Published: May 27, 2018 09:11 AM2018-05-27T09:11:14+5:302018-05-27T09:13:46+5:30
इस म्यूजिम में आपको बहुत सारे कमरे देखने को मिलते हैं जिन्हें शीशे के अन्दर सुरक्षित रखा गया है। इनमें लाइब्रेरी, रसोई घर, चाचा नेहरू का कमरा, ड्राइंगरूम, मीटिंग हॉल, गांधी जी का चरखा और एक डाइनिंग रूम भी शामिल है।
देश के पहले प्रधानमंत्री और बच्चों के प्रिय जवाहर लाल नेहरू की आज 54वीं पुण्यतिथी है। देश को आजाद कराने वाले क्रांतिकरियों में और आजादी के बाद देश का विकास करने वाले बच्चों के चाचा नेहरू की यादें आज भी इलाहाबाद शहर के उनके निवास आनंद भवन में दिखाई दे जाती है। आनंद भवन वैसे तो जवाहर लाल नेहरू का प्राचीन निवास था लेकिन अब ये देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक संग्रहालय के रूप में खोल दिया गया है। इस म्यूजियम में चाचा नेहरू, देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और स्वतंत्रता से जुड़े बहुत सी चीजों की झलक देखने को मिलती है। आज हम आपको आंनद भवन की सैर कराएंगें और झांकेगें इतिहास के पन्नों में।
पहले हुआ करता था बुचड़खाना
आनंद भवन का शब्दिक अर्थ होता है- खुशियों का घर। यह नेहरू-गांधी परिवार का पुस्तैनी मकान है, जिसे अब स्वराज भवन के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने जब इस मकान को खरीदा था तब यह एक बुचड़खाना हुआ करता था। उन्होंने इस मकान का पूरी तरह से नवीनीकरण किया। उन्होंने इस मकान को इंग्लिश लुक देने के लिए यूरोप और चीन से फर्नीचर मंगवाए।
एक साथ दर्जनों खा सकते थे खाना
इस म्यूजिम में आपको बहुत सारे कमरे देखने को मिलते हैं जिन्हें शीशे के अन्दर सुरक्षित रखा गया है। इनमें लाइब्रेरी, रसोई घर, चाचा नेहरू का कमरा, ड्राइंगरूम, मीटिंग हॉल, गांधी जी का चरखा और एक डाइनिंग रूम भी शामिल है। इस डाइनिंग रूम की डाइनिंग टेबल इतना बड़ा है कि एक साथ बैठकर दर्जनों लोग खााना खा सकते हैं। बताया जाता है कि स्वतंत्रता के समय सारे सेनानी इसी घर में मीटिंग करते थे और अंग्रेजों को भगाने की रणनिती बनाया करते थे।
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मेमोरियल फंड करता है रख-रखाव
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय इस घर का प्रयोग एक मुख्यालय के तौर पर किया जाता था और यहां विद्वानों और राजनेताओं की बैठकें हुआ करती थी। आज यह मकान नेहरू परिवार के संग्रहालय के रूप में कर दिया गया है। जहां सिर्फ गांधी और नेहरू परिवार के समानों को देखा जा सकता है। इसका रख-रखाव जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा किया जाता है। पुराने समय को करीब से महसूस करने के लिए पर्यटक नियमित रूप से आनंद भवन का भ्रमण करते हैं।
तारामंडल में देखिए तारों की जीवन गाथा
अगर आप आंनद भवन जा रहे हैं तो यहां के तारामंडल में जाना ना भूलें। यूं तो आकाश में टिमटिमाते तारों को हम सभी देखते हैं, लेकिन तारों का इतिहास क्या है? इनकी उत्पत्ति कैसे होती है और यह कैसे विनष्ट होते हैं, अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी आपको इस तारामंडल के शो में देखने को मिल जाएगी। तारामंडल में एक साथ 96 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक कुल सात शो दिखाए जाते हैं। तीन फीट से कम के बच्चों का टिकट यहां फ्री है, ऐसा इसलिए कि उम्र बताने में कभी-कभी लोग भ्रम की स्थिति पैदा कर देते हैं और विवाद खड़ा हो जाता है। इसके लिए ऊंचाई को मापदंड बनाया गया। एक टिकट 60 रुपये का है।
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स्वराज भवन में आज भी रहते हैं बेसहारा बच्चे
वैसे तो चाचा नेहरू का जन्म इलाहाबाद शहर के मीरगंज इलाके में हुआ था लेकिन जब उनके पिता आंनद भवन आ गए तो भवन के बगल में स्वराज भवन का निर्माण किया गया। आज इस भवन में शहर के बेसहारा बच्चों को रखा जाता है। जहां उन्हें शिक्षा के साथ खाना भी दिया जाता है। इसके साथ ही बाल भवन का निर्माण भी यहां किया गया है जिसमें हर छुट्टीयों में बच्चे अपने हुनर को निखारने यहां आते हैं। इस बाल भवन में डांस, गाने, गिटार, तबला, आर्ट और क्रॉफ्ट जैसे बहुत सारी एक्टिविटीस करवाई जाती है।