भारत का पहला पुस्तक गांव, हर घर में है लाइब्रेरी

By मेघना वर्मा | Published: February 15, 2018 01:14 PM2018-02-15T13:14:27+5:302018-02-15T15:27:45+5:30

जिन घरों में जिस विषय से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं, उसके बाहर उस विषय से संबंधित साहित्यकारों के चित्र भी लगाए गए हैं। इन मकानों में पाठकों के बैठने का इंतजाम किया गया है।

India's first book village Pustakache Gaav in Maharashtra | भारत का पहला पुस्तक गांव, हर घर में है लाइब्रेरी

भारत का पहला पुस्तक गांव, हर घर में है लाइब्रेरी

हम हमेशा से ही सरकार की बुराई और आलोचना करते रहते हैं। सरकार कोई काम नहीं करती, शहर और गांव का विकास नहीं करती, इस तरह की बातें हमेशा ही सरकार के विरोध में सुनने को मिलती हैं। लेकिन देश में एक ऐसा गांव है जिसने इन बातों से ऊपर उठकर खुद ही अपना विकास किया है। जी हां, ऐसा शहर जिसने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह उस गांव की ओर ध्यान दे और उसके विकास में और सहायता करे। हम बात कर रहे हैं देश के पहले "पुस्तक गांव" या " विलेज ऑफ बुक्स" की। मुम्बई के सतारा जिले का ये गांव महाबलेश्वर के पास और मुम्बई से पांच घंटे की दूरी पर स्थित है। इस गांव की खास बात ये है कि यहां हर घर में लाईब्रेरी बनी हुई है जहां कोई भी जाकर इन किताबों को मामूली सी फीस देकर पढ़ सकता है। 

5 हजार की जनसंख्या पर हैं 15 हजार किताबें

देश के पहले पुस्तक गांव की जनसंख्या 5 हजार की है लेकिन गांव में इस समय 15 हजार किताबों का संग्रह है। शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी विभाग काम कर रहा था। गांव के आस-पास किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चुना गया है। यहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं की किताबें मिल जाएगी। किताबों का ये गांव, राज्य सरकार की पहल है और इस पुस्तक गांव का उद्घाटन आने वाले 4 मई को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस करेंगे।

मराठी साहित्य का सबसे बड़ा है संग्रह

पढ़ने की प्राचीन सभ्यता को अपने आप में समेटे इस पुस्तक गांव में मराठी साहित्य का सबसे पुराना संग्रह मिलता है। इसके अलावा गांव ने इन किताबों को पढ़ने के लिए बहुत साधारण सी फीस रखी है जिसका इस्तेमाल वो किताबें खरीदने के लिए करते हैं। पुस्तक गांव परियोजना ब्रिटेन के वेल्स शहर के "हे-ऑन-वे" से प्रभावित है। "हे-ऑन-वे" की ही तर्ज पर भिलार गांव को पुस्तक गांव बनाने के लिए 40 लोगों ने इच्छा जताई थी, जिनमें से फिलहाल 25 घरों का चयन किया गया है। जिन घरों में जिस विषय से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं, उसके बाहर उस विषय से संबंधित साहित्यकारों के चित्र भी लगाए गए हैं। इन मकानों में पाठकों के बैठने का इंतजाम किया गया है। कुछ मकानों में पाठकों के ठहरने और खाने का भी इंतजाम है। 

स्ट्रॉबेरी के साथ पढ़ने का लीजिये मजा

अगर आप भी महाराष्ट्र घूमने जाने का प्लान कर रहे हैं तो आपको इस गांव जरूर जाना चाहिए। सतारा जिला पुस्तक के इस गांव के साथ स्ट्रॉबेरी के लिए भी जाना जाता है। आपको भी अगर किताबें पढ़ने का शौक है तो महाराष्ट्र का ये गांव आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है। 
 

Web Title: India's first book village Pustakache Gaav in Maharashtra

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