भूतिया किला है महाराष्ट्र का शनिवार वाड़ा, इस समय ना जायें वरना आवाजों से रूह कांप उठेगी

By मेघना वर्मा | Published: July 19, 2018 12:50 PM2018-07-19T12:50:11+5:302018-07-19T12:50:11+5:30

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक नारायण राव की हत्या उनके चाचा ने ही करवाई थी।

haunted story of shaniwar wada pune, Maharashtra, india | भूतिया किला है महाराष्ट्र का शनिवार वाड़ा, इस समय ना जायें वरना आवाजों से रूह कांप उठेगी

भूतिया किला है महाराष्ट्र का शनिवार वाड़ा, इस समय ना जायें वरना आवाजों से रूह कांप उठेगी

पेशवाबाजी राव की कहानी ज्यादातर लोगों को पता होगी। फिल्म बाजीराव मस्तानी के बाद उनकी जिंदगी से जुड़ी सारी बातें लोगों को और भी पता हो गईं। मगर शायद कम ही लोग जानते हैं कि महाराष्ट्र में स्थित शनिवार वाडे फोर्ट को देश के सबसे हॉन्टेड जगहों में गिना जाता है। जी हां आज हम आपको पेशवा के इसी शनिवार वाडे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको हैरानी होगी। आप भी पढ़िए देश के इस टॉप हॉनटेड जगह के बारे में। 

18 वीं शताब्दी में बना था किला 16 हजार की आई थी लागत

बाजीराव रोड़ पर अभिनव कला मंदिर के पास बना शनिवारवाड़ा महल, पेशवा राजाओं का निवास स्थान था। इस महल की नीव बाजीराव प्रथम ने शनिवार के दिन 10 जनवरी 1730 में रखी थी। माना जाता है कि उस दौरान इसके निर्माण में 16,110 रुपये की लागत आई थी। यह महल इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ 1 हजार से ज्यादा लोग रह सकते थे। 22 जनवरी 1732 को इस महल में हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक इस महल में गृह प्रवेश किया गया था।

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बेहद खूबसूरत है यह महल

इस महल की खूबसूरती की चर्चा पूरी दुनिया में है यही कारण है कि हर साल देश और विदेश से लोग यहां घूमने आते हैं। दीवारों पर महाभारत और रामायण काल के दृश्य बने हुए हैं। यहां प्रतिदिन दिन शाम को विशेष लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए पूणे और आसपास के लोग यहां आते है। इस महल की पहली मंजिल पर 17-18 वीं सदी के दौरान की कई वस्तुओं और मूर्तियों को रखा गया है। वर्तमान समय में पुणे महानगरपालिका इस महल की देखभाल करता है।

आज भी पेशवा बाजीराव के वो आखिरी बोल देते हैं सुनाई

इस किले में 16 साल के नारायण राव, जो की मात्र 14 साल की उम्र में मराठा साम्राज्य के 5वें पेशवा बन थे, उनकी षड्यंत्र करके हत्या कर दी गई थी। जब हत्यारे उनकी हत्या के लिए किले में घुसे तो नारायण राव खतरा भांपते हुए अपने कक्ष से भाग निकले। नारायण ने पूरे महल में दौड़ते हुए 'काका माला वाचवा' (चाचा मुझे बचाओ) की गुहार लगाई। लेकिन उन्हें बचाने के लिए कोई नहीं आया। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक नारायण राव की हत्या उनके चाचा ने ही करवाई थी। कहते हैं कि आज भी नारायण राव की आत्मा इस किले में भटकती है और उनके द्वारा बोले गए आखिरी शब्द 'काका माला वचाव' की आवाज आसपास के लोगों को सुनाई देते है। अंधेरी रातों में यह महल और अधिक डरावना लगता है।

किले का जला हुआ भाग आज भी आता है नजर

इस किले को आग के हवाले कर दिया गया था, आज भी किले का वो आधा जला भाग देखा जा सकता है। हालांकि यहं पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है, पर किसी को शाम के बाद अंदर जाने की इजाजत नहीं। लोगों का मानना है कि आज भी नारायण राव की चीखें यहां गूंजती हैं।

Web Title: haunted story of shaniwar wada pune, Maharashtra, india

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