वट सावित्री का व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। 30 मई को सोमवती अमावस्या भी है, इस दिन किया गया व्रत, स्नान, दान और पूजा का फल अक्षय होता है। Read More
इस व्रत का पौराणिक महत्व ये है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा की बदौलत ही यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। ...
धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या का व्रत और पूजन करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। सोमवती अमावस्या पर भी सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। ...
वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी। ...
वट सावित्री सती की कथा के बारे में बताते हुए, एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं’ में संतोषी मां की भूमिका निभा रहीं, ग्रेसी सिंह ने कहा, ‘‘महान सती के रूप में ख्यात यह दिन सावित्री के अपने पति के प्रति अगाध समर्पण का है। ...
निर्णयामृत ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जानी चाहिए। उत्तर भारत की बात करें तो यहां वट सावत्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को ही किया जाता है। ...