सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवियों में शुमार किये जाते हैं। धूमिल का जन्म नौ नवंबर 1936 को वाराणसी के नजदीक स्थित खेवली गाँव में हुआ था। धूमिल को हिन्दी की साठोत्तरी कविता के प्रमुख हस्ताक्षरों में शुमार किया जाता है। 'संसद से सड़क तक' और 'कल सुनना मुझे' उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं। 'कल सुनना मुझे' के लिए उन्हें 1979 में मृत्योपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। धूमिल की 10 फरवरी 1975 को महज 38 साल की उम्र में मृत्यु हो गयी। धूमिल शिल्प और कथ्य दोनों स्तर पर भारत के सबसे क्रांतिकारी और प्रयोगधर्मी कवियों में शुमार किये जाते हैं। Read More
सुदामा पांडे 'धूमिल' ने सिर्फ तीन कविता संग्रह ही लिखे लेकिन प्रजातांत्रिक व्यवस्था और देश की स्थितियों को नापने में सफल रहे हैं। हिंदी साहित्य में उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी कविता 'मोचीराम' एक हस्ताक्षर है। ...
धूमिल को 'कल सुनना मुझे' कविता-संग्रह के लिए 1979 में मृत्योपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। जीते जी धूमिल का केवल एक कविता संग्रह प्रकाशित हो सका था। धूमिल की महज 38 साल की उम्र में 1975 में मृत्यु हो गयी। ...