इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं। नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था। रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभों (कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज ) में से एक है। कुरान सूरा 2 के आयात 183 और 184 मे हर व्यक्ति को इस पाक महीने मे हुजूर की तरह ही सुबह से लेकर शाम सूरज डूबने तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही है। अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वालों की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है। Read More
लॉक डाउन के कारण इस बार रमजान में सेहरी और इफ्तार का वक्त बताने के लिए छापे जाने वाले कैलेंडरों का प्रकाशन नहीं हो पाया है, लिहाजा हेल्पलाइन के जरिए लोगों को इस बारे में भी जानकारी दी जाएगी। ...
यूं देखा जाए तो रोजा हर धर्म में किसी न किसी शक्ल में मौजूद है. इसे हर धर्म में अपने पूज्य को मनाने का प्रभावी तरीका माना गया है. इंसान अपनी नैसर्गिक इच्छाओं को दबाते हुए महज अपने पूज्य के लिए जब भूखा-प्यासा रहता है तो यह त्याग ईश्वरीय सत्ता को बहुत ...
पाकिस्तान में कोरोना वायरस से 9,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। कुछ दिन पहले ही मस्जिदों में लोगों के बीच सामाजिक दूरी बनाए रखने पर सरकारी दिशा-निर्देशों के पालन को लेकर मौलवियों के सहमति जताने के बाद सरकार ने रमजान के महीने में मस्जिदों में नमाज अ ...
इसी हफ्ते शुरू हो रहे पवित्र रमजान माह में घरों में ही तरावीह की नमाज पढ़ना शरीयत के लिहाज से उचित होने या नहीं होने को लेकर पैदा संदेह और आशंकाओं के बीच इस्लामी विद्वानों का कहना है कि घर में ही यह नमाज पढ़ना शरीयत के लिहाज से कतई गलत नहीं है। अंतरर ...