अब क्यों नहीं बनते ऐसे धारावाहिक, भारतीय टीवी इतिहास के 10 'हीरा' सीरियल

By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 10, 2018 07:35 AM2018-03-10T07:35:20+5:302018-03-10T07:35:20+5:30

बीते कुछ वर्षों में भले इन दिनों टीवी धारावाहिकों के देखने वाले उतने जोशीले न रह गए हों, जितने पहले थे। पर इसी देश में ऐसे दौर रहे हैं जब धारावाहिक के समय लोग जरूरी कामों को छोड़ आते थे।

Top 10 Indian TV serials: Which serial beats Mahabharat, Shaktiman, Kaun Banega Carodpati | अब क्यों नहीं बनते ऐसे धारावाहिक, भारतीय टीवी इतिहास के 10 'हीरा' सीरियल

अब क्यों नहीं बनते ऐसे धारावाहिक, भारतीय टीवी इतिहास के 10 'हीरा' सीरियल

भारतीय टेलीव‌िजन बहुत ही उन्नत रहा है। भले यह अमेरिकी टीवी धारावाहिकों या ब्रिटेन की टीवी धारावाहिकों की तुलना में एकदम अलग हो। पर इसका बिल्कुल यह मतलब नहीं कि भारत के टीवी सीरियल कमतर रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में भले इन दिनों टीवी धारावाहिकों के देखने वाले उतने जोशीले न रह गए हों, जितने पहले थे। पर इसी देश में ऐसे दौर रहे हैं जब धारावाहिक के समय लोग जरूरी कामों को छोड़ आते थे।

हमसे ठीक ऊपर की पीढ़ी याद करती है, जब महेंद्र कपूर की बुलंद आवाज "महा...आ...भारत" कानों पड़ती तो जो जिस हाल में होता, उसी हाल में टीवी के सामने आकर बैठ जाता। यही आलम कुछ साल पहले गृहणियों का रहा, जब 'बालिका बधू' आता था। भारतीय टीवी सीरियल के समृद्ध इतिहास में 'हम लोग', 'बुनियाद', 'ब्योमकेश बख्‍शी', 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने', 'नीम का पेड़', 'बिक्रम बैलात', 'अलिफ लैला', 'मालगुडी डेज', 'भारत एक खोज', 'परमवीर चक्र', 'चित्रहार', 'रंगोली' से लेकर 'भाभी जी घर पर हैं', 'बिग बॉस' और 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल शर्मा' तक का सुरूर चढ़ता-उतरता रहा है।

लेकिन इनमें भी 10 भारतीय टीवी धारावाहिक ऐसे हैं, जिनके बारे में हमें विस्तार से जानना ही चाहिए। फिर वह यूट्यूब, सीडी कैसेट्स, या किसी अन्य माध्यम से उपलब्‍ध हो तो देखना भी चाहिए। क्या था इनका जादू।


1. महाभारत

भारत में महाभारत आज तक सबसे अधिक उत्साह के साथ देखा जाने वाला टीवी सीरियल माना जाता है। आज भी लोग ढूंढ-ढूंढ कर इसके एपिसोड देखते हैं। यूट्यूब पर इसके एक-एक एपिसोड लाखों-लाखों लोगों देखा है, जैसे- एपिसोड 49, 50, 51, 52, 53, 54 वाले 4 घंटे से अधिक वाले वीडियो को अभी तक 1,397,859 लोगों ने देखा है। इस धारावाहिक को इस बात का भी श्रेय जाता है कि इसने टीवी धारावाहिकों में भारतीय लोगों का विश्वास जगाया।

इसी धारावाहिक एक भारतीय टीवी को एक बड़ा दर्शक वर्ग दिया, जिस पर आजतक काम किया जा रहा है।इस धारावाहिक प्रमुख आकर्षण इस महाकाव्य में भारतीय लोगों का विश्वास है। इसे महर्षि वेदव्यास ने लिखा है। टीवी के दुनिया के बड़े नाम बीआर चोपड़ा ने इसका निर्माण किया था, उनके बेटे रवि चोपड़ा ने इसका निर्देशन किया।

इसके कुल 94 एपिसोड, 2 अक्टूबर 1988 से लेकर 24 जून 1990 के बीच में प्रसारित हुए। इस टीवी सीरियल ने भारतीय कलाकार समाज को फिरोज खान, गजेन्द्र सिंह चौहान, मुकेश खन्ना, रोनित रॉय, पुनीत इस्सर, पंकज धीर, सुरंद्र पाल, नितीश भारद्वाज, चेतन हंसराज, गुफी पेंटल, उमाशंकर, आर्यन वैद्य, किरण करमरकर, हर्षद चोपड़ा जैसे नये प्रतिभाशाली चेहरे दिए, जो बाद में खूब टीवी तो टीवी सिनेमा में भी खूब मशहूर हुए।

साल 2013 में एक बार फिर से इस धारावाहिक को जीवित करने की कोशिश की लेकिन यह वैसा प्रभाव नहीं जगा पाया।


2. रामायण

रामानंद सागर की प्रस्तुति रामायण देश का पहला टीवी धारावाहिक था, जिसने आमजन की टीवी में आस्‍था जगा दी। इस धारावाहिक को देखते वक्‍त लोग खुश-दुखी होते थे। रामायण के कुछ-कुछ एपिसोड इतने मार्मिक हैं कि लोग देखने के घंटे-घंटे भर बाद तक आंसू बहाते रहे। भारत के लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों के बारे में जब कभी लिखा-पढ़ा जाएगा तुलसीदास लिखित रामचरित मानस का टीवी रूपांतर प्रस्तु‌तिकरण 'रामायण' नाम पहली पंक्ति में आएगा।

हमसे ठीक ऊपर की पीढ़ी के लोग बताते हैं कि रविवार सुबह 9:30 का जैसे लोगों को सोमवार से ही इंतजार रहता था। 78 कड़ियों वाले इस धारावाहिक ने दूरदर्शन को लाखों रुपयों का मुनाफा भी दिया। 25 जनवरी 1987 से 31 जुलाई 1988 हर रविवार लोग जहां टीवी दिखती थी वहीं चिपक जाते थे। इसके प्रभाव इतना गहरा था कि इस टीवी सीरियल के पोस्टर को लोग अपने घरों में लगाकर पूजा करने लगे थे।जो लोग उन दिनों बड़े हो रहे थे उनके मन में प्रभु राम का नाम आने वही छवि सामने आ जाती थी जो सीरियल में राम का किरदार था।

इस धार्मिक सीरियल ने टीवी को अरुण गोविल (राम), दीपिका (सीता), दारासिंह (हनुमान), सुनील लाहिरी (लक्ष्मण), ललिता पवार (मंथरा), अरविंद त्रिवेदी (रावण) जैसे कलाकार दिए।


3. चंद्रकांता

भारत के दोनों धार्मिक ग्रंथों के टीवी सीरियलों के बाद लेखक देवकी नंदन खत्री की काल्पनिक कहानी ने लोगों को खूब खींचा। नौगढ़-विजयगढ़ की टकरार और एक राजकुमार व मुख्य किरदार चंद्रकाता के प्यार को देखकर लोगों को कहानी अपने बीच की लगी। चंद्राकांता उपन्यास के टीवीकरण का प्रसारण  4 मार्च, 1994 को शुरू हुआ।

खास बात ये कि नीरजा गुलेरी के इस धारावाहिक के निर्देशन ने उन्हें मूल लेखक देवकी नंदन खत्री से भी ऊपर स्‍थान दिला था। इसके करीब 130 एपिसोड के बाद यह बंद हुआ। 

इस सीरियल में क्रूर सिंह का अभिनय करने वाले अखिलेश मिश्र को तो बाद में बॉलीवुड ने हाथों-हाथ लिया। उन्होंने 100 से अध‌िक फिल्मों का काम किया प्रकाश झा कि फिल्मों अपहरण, राजनीति आदि में उनके किरदार बहुत सराहा भी गया।

एक और सितारा इस सीरियल में था, जो अब लोगों का चहेता बना हुआ है, उसका नाम है इरफान खान।महाभारत और रामायण जितना तो नहीं पर उसी के आसपास के दर्शक इसके भी रहे। लोगों को सीरियल देखने के लिए बड़ी बेसब्री से रविवार की सुबह का इंतजार रहता था।


4. शक्तिमान

महाभारत, रामायण, चंद्रकांता जैसा जादू बाद के दिनों अगर कोई टीवी सीरियल कर पाया तो वह है, शक्तिमान। इसका ऐसा प्रभाव हुआ कई लड़कों ने अपनी जान दे दी। यह ऐसा टीवी सीरियल रहा जिसके प्रसारण समय इसलिए बदलना पड़ा कि बच्चे स्कूल जाने से मना कर देते थे। या स्कूल से भाग जाते थे। महाभारत में भीष्म का किरदार करते हुए मुकेश खन्ना को उतनी लोकप्रियता नहीं मिली थी, जितनी शक्तिमान ने दिलाई। इन्हीं के साथ गुरु द्रोणाचार्य बनकर जितना सुरेंद्र पाल लोगों को नहीं रिझा पाए उससे ज्यादा उनका खौंफ तमराज किलविश के रूप में लोगों तक पहुंचा।

शक्तिमान को भारत का पहला सुपरहीरो भी कहा जाता था। यह एक खास तरह से हाथ घुमाकर आसमान में उड़ जाया करता था। कुछ बच्चों ने भी ऐसा करने की कोशिश की। कुछ बच्चों को लगा कि वह छत से कूदेंगे तो शक्तिमान उन्हें बचाने आएगा। सीरियल ने 400 एपिसोड सफलतापूर्वक पूरे किए और टीवी की दुनिया में छा गया। 27 सितंबर, 1997 से शुरू होकर यह 27 मार्च, 2005 तक चला।


5. चाणक्य

महाभारत और रामायण ने जब भारत में टीवी की जमीन खड़ी कर और बता दिया कि भारत में टीवी की क्षमता क्या है, तब कई लोग एक साथ मैदान में कूद पड़े। ज्यादातर सबके पास कोई न कोई ऐतिहासिक ग्रंथ या चरित्र थे। क्योंकि तब इनके खूब चलन थे। इनमें खास बात यह कि जिस तरह महाभारत कूटनीति पर आधारित और भारत में मशहूर हुआ उसी तरह चाणक्य की कूटनीति वाला धारावाहिक भी पसंद आया।

अहम बात ये कि इसके निर्देशक चंद्र प्रकाश द्वीवेदी एक शानदार निर्देशक हैं। उनके कहानी कहने के तरीके से लोग खूब प्रभावित हुए। यथार्थ पर आधारित यह धारवाहिक 8 सिंबर, 1991 को शुरू हुआ और करीब 48 ऐपिसोड के बाद 9 अगस्त, 1992 को खत्म हुआ।


6. शांति

शांति से पहले तक टीवी सीरियलों का विषयवस्तु लोक-परलोक और यथार्थवादी रहे। इस टीवी सीरियल ने परिवारिक रिश्तों और एक औरत की कहानी को इस तरह से प्रतिस्‍थाति किया कि आजतक टीवी उसी लकीर पर आगे बढ़ रही है। बाद में जो टीवी सीरियलों पर औरतों को बिगाड़ने के आरोप लगने लगे कि वह घर के काम से अधिक तवज्जो टीवी सीरियलों को देने लगी हैं, उसकी शुरुआत इसी सीरियल ने की थी।

आज के टीवी सीरियल निर्माता पहले से मान कर चलते हैं कि औरतें उनकी बंधी दर्शक हैं। वह शांति की देन की जिसने औरतों को टीवी देखने का सलीका दिया। दूरदर्शन पर यह 1994 में प्रसारित हुआ। इसने भारत को मंदिरा बेदी जैसी अभिनेत्री दिया। उन्होंने एक नाजायज लड़की की संघर्षों की कहानी के ताने-बाने को बेहतरीन ढंग से प्रदर्श‌ित किया।


7. जंगल बुक

"जंगल-जंगल बात चली पता चला है, चड्ढी पहन कर फूल खिला है पता चला है" इस गाने के साथ रविवार की दोपहर 12 बजे जब मोगली की कहानी शुरू होती थी तब बच्चे तो क्या बड़े-बुजुर्ग भी अपनी-अपनी खाट टीवी की ओर कर लेते थे। यह एक जापानी टीवी सीरियल है जो 2 अक्टूबर 1989 में शुरू हुआ। वहां इसका नाम "जंगुरू बुक्कू शोनेन मोंगरी" था।

जुलाई 1993 दूरदर्शन पर "द जंगल बुक" नाम से इसकी शुरुआत हुई।यह मोगली नाम के एक मोगली बच्चे की कहानी है, जो जंगल में ही बड़ा हो रहा है जंगली जानवरों से बातें करता है। उन्हीं की तरह उछलता कूदता है। इससे पहले के सीरियल में इतनी टेक्नॉलोजी नहीं थी। इस सीरियल ने भारत को एक आयाम दिया, जिसका नतीजा है कि आज बच्चों पर केंद्रित बीसियों चैनल चल रहे हैं, जो सुबह से शाम तक बच्चों के लिए ही कार्यक्रम चलाते हैं और इनकी अच्छी-खासी पहचान भी है।


8. क्योंकि सास भी कभी बहू थी

भारतीय टीवी में क्रांति आई थी। एक साथ कई चैनल खुले थे। सबमें कुछ नया करने की होड़ मची हुई थी। लोग किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे। इसी बीच 3 जुलाई, 2000 को ठीक उसी दिन जिस 'कौन बनेगा करोड़पति' का पहला एपिसोड दिखाया गया, एक धारावाहिक और आया क्योंकि सास भी कभी बहू थी। शुरुआती ऐपिसोड में लोग इसे भी बाकी सीरियलों की तरह देखते रहे। लेकिन बालाजी टेलीफिल्म्स के इस सीरियल का प्रसारण जैसे बढ़ता गया, दर्शकों के सिर पर चढ़ता गया। असर इतना कि इस टीवी सीरियल ने भारत को एक शिक्षा मंत्री दे दिया।

सास-बहू के रिश्तों पर आधारित यह सीरियल मध्यवर्गीय शहरी परिवार की रोजमर्रा जिंदगी की कहानी थी। वर्तमान देश की कपड़ा मंत्री व पूर्व शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी इसमें मुख्य बहू की भूमिका में थी। इसका आखिरी एपिसोड 6 नवंबर, 2000 को प्रसारित हुआ। स्मृति के अलावा इसने सुधीर दलवी, सुधा शिवपुरी, शक्ति सिंह, अपरा मेहता, अमर उपाध्याय, जीतें लालवानी और राकेश पॉल को भी टीवी में पहचान दिलाई।


9. कौन बनेगा करोड़पति

या तो महाभारत भारत की गलियां शांत कर देता था, आने-जाने वाले जहां टीवी पाते थे वहीं ठहर जाते थे, या फिर कौन बनेगा करोड़पति यह काम कर पाया। भारतीय टीवी में यह अपने आप में अनोखा टीवी कार्यक्रम था। इससे पहले टीवी पर इस तरह के शो नहीं आते थे। इसे भारत का पहला टीवी गेम शो माना जाता है। फिल्मों की दुनिया में सबसे बड़ा नाम होने के बाद जब अमिताभ फिसले और सड़क पर आने की नौबत आ गई तब उन्होंने टीवी का सहारा लिया।

साल 2000 में कौन बनेगा करोड़पति ने अमिताभ बच्चन को नई उचाइयां दीं। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आपको इस बात से भी लगा सकते हैं कि अलग-अलग संस्करण आने वाले सालों में भी होने वाले हैं। 3 जुलाई, 2000 को पहला और इसके 8वें संस्करण का प्रसारण नवंबर 16, 2014 को हुआ था। इसके 9वें संस्करण के लिए भी तैयारियां जारी हैं।


10. बालिका बधू (2008)

टीवी धारावाहिकों के मशहूर हुए जब जमाने गुजर गए, सालों बाद जब  जिस अलख को महाभारत-रामायण ने लोगों में जलाई थी टीवी देखने की, वह मद्धम पड़ने लगी, तमाम चैनलों ने धारावाहिकों की होड़ मचा ची, सुबह-शाम धरावाहिक दोबारा दिखाए जाने लगे, तो बालिका बधू ने एक नई मिसाल पेश की। इस धारावाहिक में जिस दिन मुख्य किरदार आनंदी को धारावाहिक के अंदर गोली लगी और ऐसा लगा कि शायद वह मर जाएगी तो तमाम घरों में उस दिन चूल्हे नहीं जले।

तमाम-सास बहू की कहानियों के बीच यह एक ऐसा सीरियल प्रसा‌रित हुआ‌ जिसने भारतीय टीवी को नये सिरे से परिभाषित किया। 21 जुलाई 2008 से शुरू हुआ यह सीरियल साल 2016 में बंद हुआ। यह भारतीय टीवी सीरियल का सबसे लंबे दिनों तक चलने वाला सीरियल रहा। आप इस बात से इस सीरियल की लंबाई का अंदाजा लगा लीजिए कि मुख्य किरार आनंदी 3 बार बदली गईं।

सबसे पहले अविका गौर ने इस किरदार को खूब जिया। स्वर्गीय प्रत्यूषा बनर्जी और आखिर तक इसके साथ रहीं तोरल रासपुत्र ने आनंदी के किरदार को जिया। 

भारत में कब शुरू हुआ टीवी

भारत में टीवी की शुरुआत रेडियो के सहयोगी के तौर हुई थी। पहली दफा दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को टीवी प्रसारण हुआ था। हालंकि नियमित प्रसारण 1965 में शुरू हो सका था।

Web Title: Top 10 Indian TV serials: Which serial beats Mahabharat, Shaktiman, Kaun Banega Carodpati

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