पत्रकारों और न्यूज से जुड़ी सामग्री को हटाने का सरकारी दबाव बढ़ा, ट्विटर की पारदर्शिता रिपोर्ट में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ा

By अभिषेक पारीक | Published: July 15, 2021 06:03 PM2021-07-15T18:03:38+5:302021-07-15T18:14:57+5:30

वैश्विक स्तर पर सरकारें अपनी आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर इंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स द्वारा पोस्ट सामग्री को हटाने के लिए सरकारों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है।

Twitter's transparency report, government pressure to remove journalists and news related material increased, India left America behind | पत्रकारों और न्यूज से जुड़ी सामग्री को हटाने का सरकारी दबाव बढ़ा, ट्विटर की पारदर्शिता रिपोर्ट में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsपत्रकारों और समाचार आउटलेट्स द्वारा पोस्ट सामग्री को हटाने के लिए सरकारों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। दूसरी छमाही में पोस्ट सामग्री को हटाने के लिए प्लेटफार्म को सरकार की 361 कानूनी मांगों का सामना करना पड़ा। दूसरी छमाही में भारत पहली बार सूचना अनुरोधों की सूची के आधार पर अमेरिका से आगे निकल गया है।

वैश्विक स्तर पर सरकारें अपनी आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर इंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स द्वारा पोस्ट सामग्री को हटाने के लिए सरकारों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। बुधवार को जारी ट्विटर की पारदर्शिता रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। 

ट्विटर ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म पर 199 पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स के वेरिफाइड अकाउंट से 2020 की दूसरी छमाही में पोस्ट सामग्री को हटाने के लिए प्लेटफार्म को सरकार की 361 कानूनी मांगों का सामना करना पड़ा। यह संख्या पिछले वर्ष की पहली छमाही से 26 फीसद अधिक है।

यह रिपोर्ट साल में दो बार आती है। इसमें कहा गया है कि ट्विटर ने पत्रकारों और समाचार प्रकाशकों के पांच ट्वीट हटाए हैं। भारत की ओर से सबसे ज्यादा अनुरोध आए, जिसके बाद में तुर्की, पाकिस्तान और रूस का स्थान रहा। ट्विटर पूर्व में पत्रकारों या प्रकाशकों से संबंधित ऐसे अनुरोधों के डाटा को ट्रैक नहीं करता था। 

अमेरिका से आगे निकला भारत

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की दूसरी छमाही में भारत पहली बार सूचना अनुरोधों की सूची के आधार पर अमेरिका से आगे निकल गया है। दूसरी ओर कुछ देश सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर रोक लगाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। सरकार विरोधी व्यापक विरोधों के बीच क्यूबा ने फेसबुक और टेलीग्राम जैसे मैसेंजिग एप पर रोक लगा दी है। पिछले महीने नाइजीरिया ने भी ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

14,500 सूचना के अनुरोध प्राप्त हुए

कंपनी के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर एक जुलाई से 31 दिसंबर के मध्य 14,500 से अधिक सूचना के लिए अनुरोध प्राप्त हुए। जिनमें से 30 फीसद अनुरोधों के जवाब में कुछ या सभी जानकारी तैयार की गई है। इस तरह के अनुरोधों में सरकारें या अन्य संस्थाएं शामिल हो सकती हैं, जो कि छद्म नामों से ट्वीट करने वाले लोगों की पहचान बताने के लिए कहती हैं। 

दूसरी छमाही में 9 फीसद की कमी

साथ ही ट्विटर को विभिन्न सामग्री को हटाने के लिए 38,500 से अधिक कानूनी मांगें भी प्राप्त हुई हैं। 2020 की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में यह 9 फीसद कम है। ट्विटर का कई देशों के साथ टकराव है, विशेष रूप से भारत के नए सोशल मीडिया नियमों को लेकर। अपडेट की गई पारदर्शिता रिपोर्ट में ट्विटर ने कहा है कि ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करने वाले ट्वीट की संख्या दूसरी छमाही में कुल वैश्विक विचारों के 0.1 फीसद से भी कम रही। पहली बार प्लेटफार्म ने ऐसा आंकड़ा जारी किया है। 

Web Title: Twitter's transparency report, government pressure to remove journalists and news related material increased, India left America behind

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