तो अब 11 अंको का होगा आपका मोबाइल नंबर, बढ़ सकते हैं ब्रॉडबैंड कनेक्शन
By रजनीश | Published: May 30, 2020 10:55 AM2020-05-30T10:55:16+5:302020-05-30T10:55:16+5:30
फिलहाल लैंडलाइन से मोबाइल पर फोन करने के लिए शून्य लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि ट्राई की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो करीब 10 अरब मोबाइल नंबर इससे प्रभावित होंगे।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नई सिफारिश की है। उसकी इस नई सिफारिशों में लैंडलाइन और मोबाइल सेवाओं के लिए 'यूनिफाइड नंबरिंग प्लान' भी शामिल है।
ईटी की खबर के मुताबिक ट्राई की सिफारिश के मुताबिक लैंडलाइन से मोबाइल नंबर पर फोन करने से पहले "0" लगाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा मौजूदा मोबाइल में अंकों की संख्या को 10 से 11 करने का भी सुझाव दिया गया है।
ट्राई के ये सुझाव ओपन हाउस डिस्कसन (OHD) पर आधारित है। इस सुझाव में एक महत्वपूर्ण बिंदु शामिल किया गया है जिसमें कहा गया कि 10 अंकों वाले रेगुलर मोबाइल नंबरों 11 डिजिट बनाने के लिए नंबर के शुरू में शून्य या जीरो लगाया जाए।
इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया कि आने वाले नए नंबरों में अलग अंक जोड़े जाएं। इसके लिए ट्राई का सुझाव है कि नए नंबरों के शुरूआत में पहला अंक 9 जोड़ा जाए।
बता दें कि फिलहाल लैंडलाइन से मोबाइल पर फोन करने के लिए शून्य लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि ट्राई की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो करीब 10 अरब मोबाइल नंबर इससे प्रभावित होंगे। इसके तहत मोबाइल नंबरों में अंकों की संख्या 11 हो जाएगी और नंबर की शुरुआत 9 अंक से होगी।
ट्राई ने डोंगल के लिए दिए जाने वाले मोबाइल नंबरों की संख्या को 13 अंकों में बदलने का भी सुझाव दिया है। लैंडलाइन नंबरों के लिए भी ट्राई ने सिफारिश की है कि फिक्स्ड लाइन नंबरों को 2 या 4 के सब-लेवल पर ले जाया जाए।
इससे पहले तक कुछ ऑपरेटर्स ने 3, 5 और 6 से शुरू होने वाले नंबरों से लैंडलाइन कनेक्शन जारी किए थे, लेकिन ये नंबर्स अब सेवा में नहीं हैं। वहीं ट्राई ने देश में कम ब्रॉडबैंड कनेक्शन के लिए दूर संचार विभाग को जिम्मेदार ठहराया है।
रिपोर्ट के मुताबिक ट्राई ने दूरसंचार विभाग की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में भी की है। शिकायत में कहा गया है कि दूरसंचार विभाग ब्रॉडबैंड की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की अनदेखी कर रहा है। बता दें कि भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 50 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है जबकि मात्र दो करोड़ लोगों के पास लैंडलाइन ब्रॉडबैंड है।