भारतीयों की स्मार्टफोन और टीवी के लिए बढ़ती दीवानगी देश के लिए पड़ रही है भारी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 4, 2018 06:35 PM2018-07-04T18:35:56+5:302018-07-04T18:36:17+5:30

सरकारी आंकड़ा के अनुसार पिछले 13 महिने (मई तक) में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का आयात 57.8 बिलियन डॉलर(3971 करोड़ रुपये) का हुआ है वहीं सोने की खरीदारी सिर्फ 35.8 बिलयन डॉलर(2460 करोड़ रुपये) की हुई है।  

Increasing enthusiasm for Indians, smartphones and TVs is growing for the country. | भारतीयों की स्मार्टफोन और टीवी के लिए बढ़ती दीवानगी देश के लिए पड़ रही है भारी

भारतीयों की स्मार्टफोन और टीवी के लिए बढ़ती दीवानगी देश के लिए पड़ रही है भारी

भारतीयों का गोल्ड (सोना) के प्रति प्यार जगजाहिर है लेकिन कुछ सालों से भारतीयों ने एक नया प्यार ढूंढ लिया है और वो नया प्यार है इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स। हर बढ़ते दिन के साथ इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के देश में खरीदार भी बढ़ते जा रहे हैं। खरीदारों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात बाजार बन गया है।

बता दें कि भारत तेल का सबसे बड़ा आयात मार्केट है। इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के बढ़ते खरीदार भारत के ट्रेड घाटा को और भी बढ़ा रहे हैं। ट्रेड घाटा किसी देश के साथ आयात और निर्यात के बीच के अंतर को कहा जाता है।

मान लीजिए हम 100 रुपये की चीजें निर्यात कर रहे हैं और 200 रुपये की चीजें आयात कर रहे हैं तो देश को 100 रुपये का ट्रेड घाटा हो रहा है। यानी देश को अपना सामान बेचकर जितनी कमायी हो रही है उससे कहीं ज्यादा पैसे उसे दूसरों देशों को विभिन्न वस्तुओं की खरीद के एवज में देने पड़ रहे हैं।     

भारत पहले से ही महंगा तेल का आयात करके घाटे में है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के ट्रेड से ये घाटा 2.3 फीसदी और बढ़ जाएगा। 

मुंबई स्थित Axis Bank Ltd के चीफ इकोनॉमिस्ट सौगाता भट्टाचार्य ने कहा कि इस समस्या को सुलझ सकता है अगर भारत आने वाले सालों में ग्लोबल चेन सप्लाई में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले।   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम जिसका मुख्य लक्ष्य घरेलू उत्पाद को बढ़ाना था वो अभी तक पुरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया है क्योंकि दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियों का इस प्रोग्राम में हिस्सा लेना अभी बाकी है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 13 महिने (मई तक) में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का आयात 57.8 बिलियन डॉलर(3971 करोड़ रुपये) का हुआ है वहीं सोने की खरीदारी सिर्फ 35.8 बिलयन डॉलर(2460 करोड़ रुपये) की हुई है।  

फिलहाल भारत का मुख्य चुनौती महंगे तेल का आयात था लेकिन इस लिस्ट में अब इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स भी जुड़ गया है।

भारतीयों के इस शौक़ इसलिए भी देश को ज्यादा महँगा पड़ रहा है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये का विनिमय मूल्य लगातार बढ़ता जा रहा है। विदेशों से आयात करने वाली ज्यादातर चीजों की कीमत डॉलर में चुकानी पड़ती है। डॉलर में कीमत देने पर हमारा विदेशी मुद्रा भण्डार कम होता है और पहले की तुलना में ज्यादा पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं।  मसलन, कुछ साल पहले तक एक डॉलर का विनिमय मूल्य 60 रुपये था और अब यह दर 68.73 रुपये हो जाने पर हर डॉलर पर देश को 8.73 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं।  

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Web Title: Increasing enthusiasm for Indians, smartphones and TVs is growing for the country.

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