फेसबुक, व्हाट्सऐप को प्राइवेसी पॉलिसी की जांच के मुद्दे पर नहीं मिली कोई राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की
By भाषा | Published: April 22, 2021 02:45 PM2021-04-22T14:45:10+5:302021-04-22T14:54:30+5:30
दिल्ली हाई कोर्ट ने व्हाट्सऐप की नयी गोपनीयता नीति की जांच के लिए सीसीआई की ओर से दिए गए आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप की नयी गोपनीयता नीति की जांच करने के भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सऐप की याचिकाओं को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि सीसीआई के लिए व्हाट्सऐप की नयी गोपनीयता नीति के खिलाफ उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं के परिणाम की प्रतीक्षा करना “विवेकपूर्ण” होगा लेकिन ऐसा नहीं करने से नियामक का आदेश “विकृत” या “अधिकार क्षेत्र को कम करने वाला” नहीं होगा।
अदालत ने कहा कि उसे फेसबुक और व्हाट्सऐप की याचिकाओं में सुनवाई लायक कुछ नहीं दिखा है जिसमें आयोग द्वारा जांच के आदेश में हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है।
सीसीआई ने दलील दी थी कि वह व्यक्तिगत निजता के कथित उल्लंघन की जांच नहीं कर रहा जिसे उच्चतम न्यायालय देख रहा है। इसने अदालत में कहा था कि व्हाट्सऐप की नयी गोपनीयता नीति लक्षित विज्ञापनों के लिए उपयोगकर्ताओं के डेटा के अत्यधिक संकलन और उनका पीछा किया जाने को बढ़ावा देगा और इसलिए यहां प्रभावशाली स्थिति का कथित दुरुपयोग है।
आयोग ने तर्क दिया, “अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का सवाल ही नहीं है” और कहा कि व्हाट्सऐप और फेसबुक की याचिकाओं में उसके फैसले को चुनौती देना “अक्षम और गलत” है। व्हाट्सऐप और फेसबुक ने नयी गोपनीयता नीति में जांच का निर्देश देने वाले सीसीआई के आदेश को चुनौती दी थी।
सीसीआई ने अदालत को बताया कि जांच के बाद ही वह निर्धारित कर पाएगा कि व्हाट्सऐप द्वारा डेटा संग्रहित करना और फेसबुक के साथ साझा करना प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार है या प्रभावशाली पद का दुरुपयोग है।
आयोग ने यह भी दलील दी कि संग्रहित डेटा में व्यक्ति की लोकेशन, इस्तेमाल उपकरण का प्रकार, इंटरनेट सेवा प्रदाता और व्यक्ति किससे बात कर रहा है, यह सब शामिल है जिससे उपयोगकर्ता का प्रोफाइल तैयार करने एवं पसंद का पता लगाया जा सका जिनका लक्षित विज्ञापन के जरिए लाभ कमाने की कोशिश की जाएगी और यह सब “पीछा करने” (स्टॉकिंग) के दायरे में आता है।
दो सोशल मीडिया मंचों ने कहा कि जब गोपनीयता मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत देख रही है तब सीसीआई को इस मामले में इतनी जल्दी कार्रवाई नहीं करनी थी और न हस्तक्षेप करना चाहिए था। दोनों मंचों ने यह भी कहा कि सीसीआई का फैसला आयोग के स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार का दुरुपयोग है। जनवरी में, सीसीआई ने व्हाट्सऐप की नयी गोपनीयता नीति पर आई कुछ खबरों के बाद इसपर स्वत: संज्ञान लेने का फैसला किया था।