Aditya L-1 Launch: सौर मिशन आदित्य-1 प्रक्षेपण, यहां जानें अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप में सूर्य से संबंधित मिशन पर क्या हो रहा काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 2, 2023 04:56 PM2023-09-02T16:56:19+5:302023-09-02T16:57:50+5:30

Aditya L-1 Launch: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने अगस्त 2018 में पार्कर सोलर प्रोब का प्रक्षेपण किया था।

Aditya L-1 Launch Solar Exploration Race for Critical Global Missions Know here what work is being done on Sun related missions in America, Japan, China and Europe | Aditya L-1 Launch: सौर मिशन आदित्य-1 प्रक्षेपण, यहां जानें अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप में सूर्य से संबंधित मिशन पर क्या हो रहा काम

Aditya L-1 Launch: सौर मिशन आदित्य-1 प्रक्षेपण, यहां जानें अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप में सूर्य से संबंधित मिशन पर क्या हो रहा काम

Highlights‘कोरोना’ से उड़ान भरी और वहां कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की जानकारी लेने का प्रयास किया।पहली बार था कि किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य से संबंधित पहलुओं का अध्ययन किया।सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे निर्मित और नियंत्रित किया।

Aditya L-1 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अपने पहले सौर मिशन आदित्य-1 के सफल प्रक्षेपण की पृष्ठभूमि में, आइए हम दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के उन प्रमुख मिशन के माध्यम से इसे जानने का प्रयास करें, जो सूर्य के गूढ़ रहस्य को सुलझाने के लिए समर्पित हैं।

अमेरिका: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने अगस्त 2018 में पार्कर सोलर प्रोब का प्रक्षेपण किया था। दिसंबर 2021 में, पार्कर ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल ‘कोरोना’ से उड़ान भरी और वहां कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की जानकारी लेने का प्रयास किया।

नासा के अनुसार, यह पहली बार था कि किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य से संबंधित पहलुओं का अध्ययन किया। नासा ने फरवरी 2020 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के साथ हाथ मिलाया और डेटा एकत्र करने के लिए ‘सोलर ऑर्बिटर’ का प्रक्षेपण किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे निर्मित और नियंत्रित किया।

नासा की ओर से अन्य सक्रिय सौर मिशन में अगस्त, 1997 में प्रक्षेपित ‘एडवांस्ड कंपोज़िशन एक्सप्लोरर’, अक्टूबर, 2006 में प्रक्षेपित सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशन्स ऑर्ब्जवेट्री; फरवरी, 2010 में प्रक्षेपित सोलर डायनेमिक्स वेधशाला; और जून 2013 में प्रक्षेपित इंटरफ़ेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ शामिल हैं। इसके अलावा, दिसंबर, 1995 में नासा, ईएसए और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) ने संयुक्त रूप से सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्ज़र्वेटरी (एसओएचओ) का प्रक्षेपण किया था।

जापान: जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए ने 1981 में अपना पहला सौर प्रेक्षण उपग्रह, हिनोटोरी (एस्ट्रो-ए) प्रक्षेपित किया। जेएएक्सए के अनुसार, इसका उद्देश्य कठोर एक्स-रे का इस्तेमाल करके सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना था।

जेएएक्सए के अन्य सौर अन्वेषण मिशन में 1991 में प्रक्षेपित योहकोह (सोलर-ए), 1995 में प्रक्षेपित एसओएचओ (नासा और ईएसए के साथ) और 1998 में नासा के साथ ट्रांजिएंट रीजन एंड कोरोनल एक्सप्लोरर (ट्रेस) शामिल हैं। वर्ष 2006 में, हिनोड (सोलर-बी) लॉन्च किया गया था, जो परिक्रमा करने वाली सौर वेधशाला योहकोह (सोलर-ए) का उत्तराधिकारी था।

जापान ने इसे अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर प्रक्षेपित किया था। हिनोड का उद्देश्य पृथ्वी पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करना है। योहकोह का उद्देश्य सौर ज्वालाओं और सौर कोरोना का निरीक्षण करना था। जेएएक्सए की वेबसाइट के अनुसार, यह लगभग पूरे 11 साल के सौर गतिविधि चक्र को ट्रैक करने वाला पहला उपग्रह था।

यूरोप: अक्टूबर, 1990 में, ईएसए ने सूर्य के ध्रुवों के ऊपर और नीचे अंतरिक्ष के पर्यावरण का अध्ययन करने के लिए यूलिसिस का प्रक्षेपण किया, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य के आसपास के अंतरिक्ष पर पड़ने वाले परिवर्तनशील प्रभाव के बारे में जानकारी मिली।

नासा और जेएएक्सए के सहयोग से प्रक्षेपित विभिन्न सौर मिशन के अलावा, ईएसए ने अक्टूबर, 2001 में प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनोमी (प्रोबा)-2 प्रक्षेपित किया। प्रोबा-2, प्रोबा शृंखला का दूसरा मिशन है, जो लगभग आठ वर्षों के प्रोबा-1 के सफल अनुभव पर आधारित है। यह बात और है कि प्रोबा-1 सौर अन्वेषण मिशन नहीं था। ईएसए के आगामी सौर मिशनों में 2024 के लिए निर्धारित प्रोबा-3 और 2025 के लिए निर्धारित स्माइल शामिल हैं।

चीन: एडवांस्ड स्पेस-बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेट्री (एएसओ-एस) को नेशनल स्पेस साइंस सेंटर, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) द्वारा अक्टूबर, 2022 में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। सेंटर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एएसओ-एस मिशन को सौर चुंबकीय क्षेत्र, सौर ज्वालाएं और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के बीच संबंधों की जानकारी हासिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सौर ज्वालाएं और सीएमई विस्फोटक सौर घटनाएं हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि ये सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन से प्रेरित होती हैं।

Web Title: Aditya L-1 Launch Solar Exploration Race for Critical Global Missions Know here what work is being done on Sun related missions in America, Japan, China and Europe

टेकमेनिया से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे