फेसबुक पर दर्ज हुआ 25 खरब का मुकदमा, चेहरे की पहचान से जुड़ा है मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 20, 2019 10:29 AM2019-10-20T10:29:34+5:302019-10-20T10:29:34+5:30
नयायधीशों ने फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक को लोगों की निजता पर हमला बताया है। कोर्ट के कागज के अनुसार फेसबुक की फेशियल रिकग्निसन तकनीक इलिनोइस के बायोमेट्रिक इनफॉर्मेशन प्राइवेसी एक्ट (BIPA) का उल्लंघन करता है।
अमेरिका की एक अदालत ने फेसबुक की तरफ से अपने बचाव में दायर याचिक को खारिज कर दिया है। फेसबुक पर इलिनोइस के नागरिकों के फेशियल रिकग्निशन संबंधी डाटा के कथित दुरुपयोग के मामले में 3500 करोड़ डॉलर (लगभग 25 खरब) का मुकदमा दायर किया गया था। टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार सैन फ्रांसिस्को में 9 सर्किट वाले न्यायाधीशों की तीन न्यायाधीशों के पैनल ने फेसबुक की याचिका को खारिज कर दिया है।
अब इस मामले की सुनवाई तभी होगी जब सुप्रीम कोर्ट हस्ताक्षेप करेगा। फेसबुक पर दायर मुकदमें में आरोप लगाया गया है कि इलिनोइस के नागरिकों ने अपलोड किये गये अपने फोटो के फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन करने की अनुमति नहीं दी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी दी गयी थी कि 2011 में मैपिंग शुरू होने पर डेटा कितनी देर तक सुरक्षित रहेगा।
फेसबुक को 70 लाख लोगों को प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1000 से 5000 डॉलर तक जुर्माने के तौर पर देना होगा। ऐसे में फेसबुक को कुल 3500 करोड़ डॉलर तक जुर्माना देना होगा।
फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक का इस्तेमाल फेसबुक ने साल 2011 में शुरू किया था। इसमें यूजर्स से पूछा जाता है कि उन्होंने जो तस्वीर अपलोड की है उन्हें वो जानते हैं या नहीं।
नयायधीशों ने फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक को लोगों की निजता पर हमला बताया है। कोर्ट के कागज के अनुसार फेसबुक की फेशियल रिकग्निसन तकनीक इलिनोइस के बायोमेट्रिक इनफॉर्मेशन प्राइवेसी एक्ट (BIPA) का उल्लंघन करता है।
फेसबुक ने दी ये सफाई
फेसबुक ने बयान दिया कि फेसबुक ने हमेशा लोगों को फेस रिकग्निशन तकनीक के उपयोग के बारे में बताया है और उन्हें इसे कंट्रोल करने के बारे में भी बताया है। फिलहाल हम अपने बचाव के बिकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं औऱ अपना बचाव करते रहेंगे।