उत्तर प्रदेश के कानपुर में रविवार (22 सितंबर) को गंगा नदी के किनारे महा तर्पण का आयोजन किया गया। इस दौरान काफी संख्या में महिलाओं ने अपने पूर्वजों को गंगा जल से तर्पण किया। इस आयोजन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री नंदिता मिश्रा भी पहुंची थी उन्होंने भी अपने दिवंगत बाबा को गंगाजल तर्पण किया।
पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को लोग गंगा किनारे आकर श्राद्ध कर्म कर रहे हैं। वहीं, अक्सर देखा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पुरुष की अपने पूर्वजों को जल तर्पण करते हैं, लेकिन अब महिलाएं भी आगे आने लगी हैं। बताया गया है कि गंगा के किनारे महिलाओं को तर्पण करवाने का उद्देश्य उनके अधिकार दिलवाना है।
मान्यता है कि श्राद्ध से तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को तर्पण किया जा सकता है। इसके मायने ये हुए श्राद्ध तीन पीढ़ियों तक होता है। आमतौर पर श्राद्ध को पुत्र, पोता, भतीजा या भांजा करते हैं। यह सही भी है। वैसे जिनके घर में पुरुष सदस्य नहीं हैं, उनमें महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं। पितृपक्ष में सभी तिथियों का महत्व अलग-अलग है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान अपने मृत परिजनों का श्राद्ध उसी तिथि को करें जिस तिथि में उनकी मृत्यु हुई है।