मरते समय व्यक्ति के मुंह में क्यों रखते हैं तुलसी और गंगाजल, जानिए इसके पीछे का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण
By मेघना वर्मा | Published: November 28, 2019 10:30 AM2019-11-28T10:30:15+5:302019-11-28T10:30:15+5:30
मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में तुलसी का पत्ता रखते हैं। धार्मिक दृष्टी से तुलसी की बड़ी महत्ता बताई जाती है।
हिन्दू धर्म में लोगों की आस्था और श्रद्धा पूरी दुनिया में जानी जाती है। हिन्दू धर्म के लोग जीवन से मृत्यु तक कई परंपराओं को मानते हैं। बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके पलने-बढ़ने तक। शादी करने और उसके बाद बूढ़े होने तक। यहां तक की अंतिम समय और आखिरी सांस के बाद भी सोलह संस्कार का वर्णन मिलता है।
मृत्यु को अंतिम संस्कार माना जाता है। हिन्दू शास्त्र में जन्म के बाद मृत्यु होना निश्चित माना जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में तुलसी और गंगाजल डाला जाता है। कुछ स्थानों पर मुंह में सोना भी रखते हैं। मगर क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण क्या है। आइए हम बताते हैं आपको।
तुलसी का पत्ता
मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में तुलसी का पत्ता रखते हैं। धार्मिक दृष्टी से तुलसी की बड़ी महत्ता बताई जाती है। तुलसी को श्रीविष्णु का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि तुलसी हमेशा विष्णु जी के सिर पर सजती हैं। माना जाता है कि तुलसी धारण करने वाले को यमराज कष्ट नहीं देते।
तुलसी का पत्ता व्यक्ति के मुंह में इसलिए रखा जाता है ताकी परलोक में व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़े। धार्मिक दृष्टि के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि को देखें तो तुलसी का पत्ता औषधि होता है। इससे कई रोगों में राहत मिलती है। बताया जाता है कि मृत्यु के समय तुलसी का पत्ता मुंह में रखने से व्यक्ति का प्राण त्यागते समय कष्ट से राहत मिलती है।
गंगाजल
हिन्दू धर्म में गंगाजल को भी सबसे पवित्र माना जाता है। किसी भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान में इससे पूजा की जाती है। कोई भी पूजन सामग्री बिना गंगाजल के पूजा नहीं होती। गंगा को स्वर्ग की नदी भी कहते हैं। वहीं पुराणों में बताया जाता है कि गंगा नदी भगवान विष्णु के चरणों से और भगवान शिव की जटाओं से निकली हैं।
मृत्यु के समय इंसान के मुंह में गंगाजल जरूर डाला जाता है। कहते हैं इससे शरीर से आत्मा निकलते समय अधिक कष्ट नहीं होता। मान्यता ये भी है कि मुंह में गंगाजल रखने से यमदूत सताते नहीं है। वहीं जीव के आगे का सफर आसान हो जाता है। वहीं वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो माना जाता है कि मरने वाला व्यक्ति प्यासा ना जाए।