31 दिसंबर की एकादशी क्यों है खास? जानिए व्रत, पारण और पुण्य का महत्व

By संदीप दाहिमा | Updated: December 29, 2025 20:46 IST2025-12-29T20:46:40+5:302025-12-29T20:46:40+5:30

साल 2025 का समापन एक अत्यंत पावन तिथि के साथ होने जा रहा है। यह दिन है पौष पुत्रदा एकादशी, जो न सिर्फ वर्ष की अंतिम एकादशी है, बल्कि संतान सुख और सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है।

Why-December-31-Ekadashi-is-special-Vrat-Paran-Punya | 31 दिसंबर की एकादशी क्यों है खास? जानिए व्रत, पारण और पुण्य का महत्व

31 दिसंबर की एकादशी क्यों है खास? जानिए व्रत, पारण और पुण्य का महत्व

Highlightsसाल की आखिरी एकादशी पर बरसेगा विष्णु कृपा का वरदान, जानिए पौष पुत्रदा एकादशी का रहस्य2025 की अंतिम एकादशी: संतान सुख और सौभाग्य पाने का दुर्लभ संयोगसाल खत्म होने से पहले करें ये एकादशी व्रत, भगवान विष्णु करेंगे मनोकामना पूरी

पौष पुत्रदा एकादशी 2025: साल की आखिरी एकादशी, जानिए व्रत की सही तिथि, महत्व और पारण का शुभ समय

साल 2025 का समापन एक अत्यंत पावन तिथि के साथ होने जा रहा है। यह दिन है पौष पुत्रदा एकादशी, जो न सिर्फ वर्ष की अंतिम एकादशी है, बल्कि संतान सुख और सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस एकादशी को लेकर कई श्रद्धालुओं के मन में तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है, इसलिए इसका सही विवरण जानना बेहद जरूरी है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर 2025 को सुबह 7:50 बजे से शुरू होगी, जबकि इसका समापन 31 दिसंबर 2025 की सुबह करीब 5 बजे होगा। वैष्णव परंपरा के अनुसार जिस दिन एकादशी सूर्योदय के समय रहती है, उसी दिन व्रत किया जाता है। इसी कारण पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 31 दिसंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा

पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और नियमों के साथ व्रत करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जिन दंपतियों को संतान सुख की कामना होती है, उनके लिए यह एकादशी विशेष फलदायी मानी गई है।

व्रत पारण का शुभ समय

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है।
जो भक्त 31 दिसंबर 2025 को व्रत रखते हैं, उनके लिए उसी दिन दोपहर 1:29 बजे से 3:33 बजे के बीच व्रत पारण करना शुभ माना गया है। इस दौरान भगवान विष्णु को तिल, पंचामृत, तुलसी दल और फल अर्पित कर व्रत का समापन किया जाता है।

वहीं, कुछ श्रद्धालु वैष्णव परंपरा के अनुसार अगले दिन पारण करना पसंद करते हैं। ऐसे भक्त जो 31 दिसंबर को व्रत रखेंगे, वे 1 जनवरी 2026 को सुबह 7:14 बजे से 9:18 बजे के बीच व्रत पारण कर सकते हैं। नए वर्ष के पहले दिन व्रत पारण करना भी विशेष शुभ फल देने वाला माना गया है।

व्रत के नियम और सावधानियां

एकादशी व्रत में सात्विक आहार, ब्रह्मचर्य और संयम का पालन किया जाता है। व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद ही पारण करना चाहिए और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पारण करना आवश्यक माना गया है।

पौष पुत्रदा एकादशी न सिर्फ आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता भी भर देती है। वर्ष के अंतिम दिनों में आने वाली यह एकादशी भक्तों के लिए भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने का सुनहरा अवसर मानी जाती है।

English summary :
Paush Putrada Ekadashi 2025, falling on 31 December, is a highly auspicious day for worshipping Lord Vishnu. Observing the vrat on this day brings blessings, prosperity, and, according to tradition, can fulfill desires for progeny and good fortune.


Web Title: Why-December-31-Ekadashi-is-special-Vrat-Paran-Punya

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