शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों में सबसे प्रभावशाली ग्रह शनि ही होता है। शनि ग्रह ही हमारे कर्मों का लेखाजोखा तैयार करता है और इसके अनुसार हमें फल मिलता है। कुंडली में शनि जिस भाव में है, उसकी स्थिति के अनुसार जीवन में सुख-दुख आते और जाते हैं। आइये आपको बताते हैं कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार आपके लिए ये ग्रह शुभ है या अशुभ…
प्रथम भाव में शनिजिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में है, वह व्यक्ति सुखी जीवन जीने वाला होता है। अगर इस भाव में शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और गलत काम करने वाला हो सकता है।
द्वितीय भाव में शनिदूसरे भाव में शनि हो तो व्यक्ति लालची हो सकती है। ऐसे लोग विदेश से धन लाभ कमाने वाले होते हैं।
तृतीय भाव में शनितृतीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति संस्कारी, सुंदर शरीर वाला थोड़ा आलसी होता है।
चतुर्थ भाव में शनिजिस व्यक्ति की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है, वह जीवन में अधिकतर बीमार और दुखी रहता है।
पंचम भाव में शनिकुंडली में पंचम भाव का शनि हो तो व्यक्ति दुखी रहता है और दिमाग से संबंधित कामों में परेशानियों का सामना करता है।
षष्ठ भाव में शनिजिस व्यक्ति की कुंडली के छठे भाव में शनि है, वह सुंदर, साहसी और खाने का शौकीन होता है।
सप्तम भाव में शनिसप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति बीमारियों से परेशान रहता है। गरीब का सामना करता है। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है।
अष्टम भाव में शनिअष्टम भाव में शनि होने पर व्यक्ति किसी भी काम में आसानी से सफल नहीं हो पाता है। जीवन में कई बार भयंकर परेशानियों का सामना करता है।
नवम भाव में शनिऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि है, धर्म-कर्म में विश्वास नहीं करता है। इनके जीवन में अधिकतर पैसों की कमी बनी रहती है।
दशम भाव में शनिदशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक होता है। ऐसे लोगों को नौकरी में कोई ऊंचा पद मिलता है।
एकादश भाव में शनिजिसकी कुंडली के ग्याहरवें भाव में शनि है, वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, स्वस्थ रहता है। इन्हें सभी सुख मिलते हैं।
द्वादश भाव में शनिबाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला होता है।