वैशाख माह की अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में अमावस्या को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष में अमावस्या और पूर्णिमा आती है। इस वैसाख महीने की अमावस्या 22 अप्रैल को पड़ी है। माना जाता है कि इस दिन पितृ पूजा का विशेष महत्व रहेगा।
अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है। बता दें शुक्ल पक्ष के दौरान चंद्रमा बढ़ता है जबकि कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे घटने लगता है। जब आकाश से चांद पूरी तरह गायब हो जाता है तब अमावस्या होती है।
माना जाता है कि अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म , दान पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान किया जाना चाहिए है। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते है तो उस तिथि को अमावस्या पड़ती है।
अमावस्या कब से कब तक
22 अप्रैल को सुबह करीब 5:25 से वैशाख मास की अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। पूरे दिन और रात तक रहने के बाद 23 अप्रैल गुरुवार को सुबह लगभग 8 बजे समाप्त होगी। ऐसी स्थिति में बुधवार को ही स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए। पंचांग भेद के कारण देश के कुछ हिस्सों में ये पर्व 23 अप्रैल गुरुवार को भी मनाया जाएगा।
अमावस्या की पूजा विधि
1. अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें।2. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें।3. लॉकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिला लें।4. सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।5. इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
पितृदोष दूर करने के लिए करें ये उपाय
1. अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और फूल अर्पित करें।2. ऊं पितृभ्य नम मंत्र का जाप करें।