Vaisakhi 2020: जब सरोवर का जल पीकर हो गई थी युधिष्ठिर के चारों भाईयों की मौत, महाभारत से जुड़ी है बैसाखी मनाने की कथा-पढ़िए यहां

By मेघना वर्मा | Published: April 12, 2020 01:14 PM2020-04-12T13:14:22+5:302020-04-12T13:14:22+5:30

बैसाखी का पर्व हर धर्म के लोग मनाते हैं। इस दिन सूर्य अपनी राशि में परिवर्तन भी करता है। इसीलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।

Vaisakhi/baisakhi 2020 shubh muhurat and its history of Vaisakhi/ baisakhi | Vaisakhi 2020: जब सरोवर का जल पीकर हो गई थी युधिष्ठिर के चारों भाईयों की मौत, महाभारत से जुड़ी है बैसाखी मनाने की कथा-पढ़िए यहां

Vaisakhi 2020: जब सरोवर का जल पीकर हो गई थी युधिष्ठिर के चारों भाईयों की मौत, महाभारत से जुड़ी है बैसाखी मनाने की कथा-पढ़िए यहां

Highlightsइस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं।हस साल बैसाखी के दिन मेष संक्रांति होती है।

बैसाखी का पर्व विशेष है। इस दिन किसान, प्रकृति का शुक्रिया अदा करते हैं। भारत में ये पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। खासियत ये है कि इस पर्व को हर धर्म के लोग मनाते हैं। किसी जगह इसे बिहू के रूप में मनाया जाता है तो कहीं मेष संक्रांति के रूप में। सभी लोग इस दिन प्रकृति को फसल के लिए धन्यवाद देते हैं। 

इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं। साथ ही प्रार्थना करते हैं कि उनका घर धन-धान्य से भरा रहे। वहीं हिन्दू धर्म में बैसाखी के पर्व का संबंध पांडवों से जोड़ा जाता है। आइए क्या है ये कहानी हम बताते हैं आपको-

पुरानी कहानियों के अनुसार, जिस समय पांडव वनवास काट रहे थे उसी समय यात्रा करते हुए वह पंजाब के कटराज ताल के पास पहुंचे। यहां पहुंचते ही सभी को प्यास लगी। युधिष्ठिर को छोड़कर चारों भाई जल पीने के लिए सरोवर की ओर चले गए। जब काफी देर बाद भी वह नहीं लौटे तो युधिष्ठिर ने जाकर वजह जानने की कोशिश की। 

जब भाईयों को खोजने निकले युधिष्ठिर ने सरोवर को देखा तो वो भी वहां पानी पीने पहुंचे। आगे बढ़ते हुए उन्होंने अपने भाईयों को मृत देखा। उसी समय वहां यक्ष आ गया। उन्होंने युधिष्ठिर को देखकर कहा कि उनके भाईयों ने उनकी इजाजत के बिना पानी पी लिया था इसलिए इनकी मृत्यु हो गई। 

यक्ष ने युधिष्ठिर से कहा कि यदि वह अपने भाईयों को जीवित अवस्था में देखना चाहते हैं तो उन्हें कुछ सवालों का जवाब देना होगा।

लोक कथाओं के अनुसार युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों का जवाब दे दिया। यक्ष उनसे प्रसन्न हुए मगर उनकी बुद्धि का एक बार फिर परिक्षण किया। उन्होंने कहा कि युधिष्ठिर किसी एक भाई को ही जिंदा कर सकते हैं। तो युधिष्ठिर ने कहा वो अपने सौतेले भाई को जिंदा देखना चाहते हैं। 

युधिष्ठिर के इस जवाब से यक्ष बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने युधिष्ठिर के चारों भाईयों को जिंदा कर दिया। बस तभी से बैसाखी पर्व की शुरुआत हुई। उस पंजाब के इस कटराज ताल के किनारे विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। 

मनाई जाती है मेष संक्रांति

हस साल बैसाखी के दिन मेष संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इस बार भी 13 अप्रैल को सूर्य शाम 8 बजकर 23 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन से सौर नववर्ष की शुरूआत होती है। इसी दिन बद्रीनाथ धाम की यात्रा की भी शुरुआत होती है मगर इस साल लॉकडाउन की वजह से ये तारिख आगे के लिए तय हो गई है।

बैसाखी का शुभ मुहूर्त

बैसाखी के दिन दान-पुण्य का मुहूर्त 13 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो जाएगा। इसे पुण्यकाल के नाम से जाना जाता है। यह 14 अप्रैल सूर्यादय तक ये काल रहेगा। इस दिन को खास बताया जाता है। कहते हैं इस दिन दान करने से सुख-शांति प्राप्त होती है। 
 

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