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Vaikuntha Chaturdashi 2019: कब है बैकुंठ चतुर्दशी? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

By मेघना वर्मा | Updated: November 2, 2019 11:23 IST

Vaikuntha Chaturdashi 2019: शास्त्रों की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शरीर को त्याग देने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और विष्णु की उपासना करता है उसके जीवन के सभी पाप कट जाते हैं।

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ठळक मुद्देबैकुंठ धाम को हिन्दू धर्म के कुछ सबसे पवित्र धामों में गिना जाता है।देवउठनी एकादसी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है।

हिंदू धर्म में त्रिदेवों में विष्णु और महेश की उपासना सबसे अधिक महत्वपूर्ण बतायी गई है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं। इसके बाद आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी के दिन लोग भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ती होती है।

कब है बैकुंठ चतर्दशी

बैकुंठ चतुर्दशी 2019 तिथि- 10 नवंबर 2019 बैकुंठ चतुर्दशी 2019 वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल - रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक (11 नवम्बर 2019) चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - शाम 4 बजकर 33 मिनट से (10 नवंबर 2019) चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 6 बजकर 2 मिनट तक (11 नवंबर 2019)

क्या है बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

शास्त्रों की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शरीर को त्याग देने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और विष्णु की उपासना करता है उसके जीवन के सभी पाप कट जाते हैं। पुराणों के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। 

मृत व्यक्तियों का करवाया था श्राद्ध

बैकुंठ चतुर्दशी की हमारे शास्त्रों में सबसे ज्यादा महत्ता बताई गई है। मान्यता है कि इसी दिन महाभारत के युद्ध के बाद उसमें मारे गए लोगों का भगवान श्री कृष्ण ने उन व्यक्तियों का श्राद्ध करवाया था। इसलिए इस दिन श्राद्ध तर्पण करने को भी विशेष महत्व दिया जाता है। बैकुंठ धाम को प्राप्त करने के लिए लोग इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा-पाठ करते हैं।

मान्यता है कि केवल सद्गुणी, दिव्य पुरुष या सतकमों को करने वाला व्यक्ति ही प्राप्त कर सकता है। लेकिन बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत रखने से यह बैकुंठ धाम की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है। बैकुंठ धाम के सर्वसखों का धाम माना जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

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