उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को, इस दिन बन रहे हैं ये 5 शुभ योग, ऐसे पाएं लाभ

By रुस्तम राणा | Published: November 19, 2022 02:15 PM2022-11-19T14:15:34+5:302022-11-19T14:15:34+5:30

इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं।

Utpanna Ekadashi 2022 Utpanna Ekadashi date shubh muhurat vrat vidhi muhurat and significance | उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को, इस दिन बन रहे हैं ये 5 शुभ योग, ऐसे पाएं लाभ

उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को, इस दिन बन रहे हैं ये 5 शुभ योग, ऐसे पाएं लाभ

Utpanna Ekadashi 2022: शास्त्रों में मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी व्रत कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत देवी के स्मरण का दिन माना जाता है। इसी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी से देवी उत्पन्न हुई थीं। इस बार यह तिथि 20 नवंबर को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत करता है उस पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा बरसती है। जातक को धन-धान्य, संतान सुख, सौभाग्य आदि प्राप्त होता है। इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं।

उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त 2022

एकादशी तिथि प्रारंभ- 19 नवंबर को सुबह 10:29 से 
एकादशी तिथि समाप्त- 20 नवंबर को सुबह 10:41 बजे तक रहेगी। 

उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग

प्रीति योग - प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक।
आयुष्मान योग - रात 11 बजकर 04 मिनट से अगले दिन रात 09 बजकर 07 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 06 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक।
अमृत सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक।
द्विपुष्कर योग- देर रात 12 बजकर 36 मिनट से से शुरू होकर सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक।

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु जी के समक्ष दीप प्रज्जवलित करें। गंगा जल से अभिषेक करें। विष्णु जी को तुलसी चढ़ाएं। जगत के पालनहार को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। शाम को तुलसी के समक्ष दीप जलाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर, उन्हें दान-दक्षिणा दें।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार मुर नामक राक्षस के आतंक से तीनों लोकों में भय फैल गया। मुर की शक्तियों के कारण देवता डर गए और निदान के लिए भगवान विष्णु से संपर्क किया। विष्णुजी ने सैकड़ों वर्षों तक मूर से युद्ध किया। मगर उसे हरा नहीं सके। इस बीच थकान की वजह से भगवान थोड़ा आराम करना चाहते थे, इसलिए वे हिमावती गुफा में जाकर सो गए। इसी समय दानव मुर ने गुफा के अंदर ही विष्णुजी को मारने की कोशिश की। तभी वहां एक खूबसूरत महिला दिखाई दीं, जिन्होंने लंबी लड़ाई के बाद राक्षस मूर को मार डाला। भगवान विष्णु जागे तो राक्षस के मृत शरीर को देख कर चौंक गए, चूंकि वह महिला विष्णुजी से उत्पन्न हुई थीं तो उन्होंने उन्हें एकादशी नाम दिया। तब से यह दिन उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
 

Web Title: Utpanna Ekadashi 2022 Utpanna Ekadashi date shubh muhurat vrat vidhi muhurat and significance

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