त्रयंबकेश्वर-नासिक 2027 सिंहस्थ कुंभ मेलाः पुरोहित-कनिष्ठ सहायक पुरोहित पाठ्यक्रम शुरू, हर वर्ग सदस्य कर सकते कोर्स?, जानिए योग्यता और आयु सीमा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 29, 2025 17:51 IST2025-12-29T17:49:22+5:302025-12-29T17:51:51+5:30

Trimbakeshwar-Nashik 2027 Simhastha Kumbh Mela:कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने एक अल्पकालिक रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम की घोषणा की थी।

Trimbakeshwar-Nashik 2027 Simhastha Kumbh Mela Priest-Junior Assistant Priest course begins members every category Know eligibility age limit | त्रयंबकेश्वर-नासिक 2027 सिंहस्थ कुंभ मेलाः पुरोहित-कनिष्ठ सहायक पुरोहित पाठ्यक्रम शुरू, हर वर्ग सदस्य कर सकते कोर्स?, जानिए योग्यता और आयु सीमा

सांकेतिक फोटो

HighlightsTrimbakeshwar-Nashik 2027 Simhastha Kumbh Mela: वैदिक अनुष्ठानों का संचालन करने के लिए ‘उपनयन संस्कार’ की आवश्यकता होती है।Trimbakeshwar-Nashik 2027 Simhastha Kumbh Mela: कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (रामटेक) द्वारा 21 दिवसीय पाठ्यक्रम शुरू किया गया।Trimbakeshwar-Nashik 2027 Simhastha Kumbh Mela: 21 दिन का प्रशिक्षण पूरा करने पर उम्मीदवारों को उनके प्रदर्शन और उपस्थिति के आधार पर प्रमाण पत्र मिलेगा।

Nashik:महाराष्ट्र सरकार के कौशल विकास विभाग ने त्रयंबकेश्वर-नासिक में 2027 के सिंहस्थ कुंभ मेले के मद्देनजर ‘पुरोहित-कनिष्ठ सहायक पुरोहित’ (जूनियर सहायक पुजारी-वैदिक संस्कार जूनियर सहायक) पाठ्यक्रम शुरू किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह पाठ्यक्रम सभी समुदायों के सदस्यों के लिए खुला हुआ है लेकिन कुछ ‘पुरोहित’ इसका विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों ने दावा किया कि इस तरह के वैदिक अनुष्ठानों का संचालन करने के लिए ‘उपनयन संस्कार’ की आवश्यकता होती है।

यहां एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कुंभ मेले के लिए नासिक और त्र्यंबकेश्वर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद को देखते हुए, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने एक अल्पकालिक रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम की घोषणा की थी। उसी के फलस्वरूप राज्य कौशल विकास विभाग और कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (रामटेक) द्वारा 21 दिवसीय पाठ्यक्रम शुरू किया गया।’’

उन्होंने बताया कि 12 से 45 आयु वर्ग के छात्रों को वैदिक अनुष्ठानों, उनकी व्यवस्था, मंत्रोच्चार, विभिन्न अनुष्ठानों और हिंदू रीति-रिवाजों से संबंधित सामग्री आदि की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘21 दिन का प्रशिक्षण पूरा करने पर उम्मीदवारों को उनके प्रदर्शन और उपस्थिति के आधार पर प्रमाण पत्र मिलेगा।

इसके आधार पर वे अनुष्ठान कर सकते हैं या अन्य पुजारियों की सहायता कर सकते हैं।’’ हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुंभ मेला और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आपस में कोई संबंध नहीं है। कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के वेदविद्या विभाग के प्रमुख डॉ. अमित भार्गव ने जोर देते हुए कहा, ‘‘ब्राह्मणों सहित सभी समुदायों के छात्रों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बाद में 10 दिवसीय पाठ्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसके दौरान कुंभ से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा।’’ हालांकि, ‘पुरोहितों’ के एक वर्ग द्वारा इस पाठ्यक्रम का कड़ा विरोध किया जा रहा है। पुरोहित हेमंत पिसोलकर ने दावा किया, ‘‘उपनयन संस्कार के बिना वेदों का अध्ययन नहीं किया जा सकता। इसके लिए यद्नोपवीत पहनना अनिवार्य है।

इसलिए जाति और समुदाय का प्रश्न उठता है। यहां तक ​​कि हमारे यजमान भी किसी ब्राह्मण के अलावा किसी अन्य को अनुष्ठान संपन्न कराने के लिए पुरोहित के रूप में स्वीकार नहीं करते।’’ उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘हमारे बच्चे ‘संहिता’ सीखने में कम से कम सात साल बिताते हैं। लोग इतने कम समय में छोटे-मोटे अनुष्ठान और मंत्र भी कैसे सीख सकते हैं?’’

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