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क्या है स्वर्ग की सीढ़ियों का रहस्य? महाभारत के पांडवों और रावण से जुड़ी है पौराणिक कहानी-आप भी पढ़िए

By मेघना वर्मा | Updated: April 6, 2020 15:19 IST

भारत का प्राचीन इतिहास और घटनाएं किसी रहस्य से कम नहीं है। भारत का लंबा इतिहास ऐसी असंख्य अद्भुत घटनाओं से भरा हआ है।

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ठळक मुद्देपौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव रावण की तपस्या से खुश हुए। माना जाता है कि स्वर्गरोहिणी वह जगह है जहां से युधिष्ठिर सशरीर स्वर्ग गए थे।

हिन्दू धर्म से जुड़ी बहुत सारी पौराणिक मान्यताओं के साथ बहुत सारी लोक कथाएं भी शामिल हैं। जिनमें कुछ रोचक कहानियां या मान्यता सुनने को मिलती हैं। उन्हीं में से एक है स्वर्ग की सीढ़ियों से जुड़ी मान्यता। 

दरअसल ये स्वर्ग की सीढ़ी से जुड़ी कहानी महाभारत से जोड़ी गई है। बताया जाता है कि स्वर्गारोहण पांडवों ने किया था। आइए आपको बताते हैं क्या है ये पौराणिक मान्यता और लोक कथा। 

माना जाता है कि स्वर्गरोहिणी वह जगह है जहां से युधिष्ठिर सशरीर स्वर्ग गए थे।  लोक कथाओं की मानें तो पांचों पांडवों और द्रौपदी अपने अंतिम समय में सब कुछ त्यागकर सशरीर स्वर्ग जाने के लिए बदरीनाथ से आगे माणा गांव(भारत का आखिरी गांव) से होते हुए स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए। 

मगर मार्ग में आई कठिनाइयों और प्रतिकूल मौसन के कारण एक-एक कर उनका देहावसान होता चला गया और केवल युधिष्ठिर ही जीवित रहे। वही धर्मराज के साथ सशरीर स्वर्ग जा सके। कुछ लोग ऐसा भी मानकर चलते हैं कि बाकी चारों पांडवों और द्रौपदी को कुछ घमंड हो गया था जिसके परिणामस्वरूप वे लोग सशरीर स्वर्ग नहीं पहुंच पाए।

रावण से भी जुड़ा है इसका इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव रावण की तपस्या से खुश हुए। भोलेनाथ ने वर देते हुए एक शर्त रखी कि अगर रावण एक दिन में पांच पौड़ियां यानी सीढ़ियों बना लेती है उसे असरता प्राप्त हो जाएगी। 

शर्त के अनुसार रावण पौढियां बनाने में लग गया लेकिन वो सिर्फ चार ही सीढ़ी बना पाया, क्योंकि सीढ़ी बनाते-बनाते उसकी नींद आ गई थी और पांचवी पौड़ी का निर्माण नहीं कर पाया था। इस तरह उसे स्वर्ग जाने और अमरता पाने का सपना भी अधूरा रह गया। 

हलांकि इस बात का कोई सच सामने नहीं आता कि ये सीढ़ियां सच में हैं। ऊपर दी हुई कहानियां सिर्फ और सिर्फ लोक कथाओं से जुड़ी हुई हैं।

टॅग्स :महाभारतउत्तराखण्ड
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