स्वामी विवेकानंद के धर्म सम्मेलन के लिए शिकागो जाने से पहले जब मां ने ली एक रात उनकी परीक्षा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 23, 2019 03:11 PM2019-09-23T15:11:48+5:302019-09-23T15:14:53+5:30

स्वामी विवेकानंद ने केवल 25 साल की उम्र में गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था। इसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे भारत की यात्रा की थी। रामकृष्ण परमहंस के पास आकर उन्हें शिक्षा मिली।

Swami Vivekananda story when mother tested before his preach on Hinduism in parliament of world religion | स्वामी विवेकानंद के धर्म सम्मेलन के लिए शिकागो जाने से पहले जब मां ने ली एक रात उनकी परीक्षा

मां ने ली थी जब स्वामी विवेकानंद की परीक्षा

Highlightsस्वामी विवेकानंद के शिकागो जाने से पहले मां ने ली थी परीक्षामां ने परीक्षा लेकर यह जानना चाहा था कि क्या विवेकानंद विश्व धर्म संसद में जाने के काबिल हैं

स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई कहानियां आज भी प्रचलित हैं जो युवाओं के लिए प्रेरणा का काम कर करती हैं। एक साधारण परिवार में 12 जनवरी, 1863 को जन्में स्वामी विवेकानंद उस समय पूरी दुनिया में भी छा गये जब उन्होंने शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसी से जुड़ी एक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं।

जब मां की परीक्षा में पास हुए स्वामी विवेकानंद

यह बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद को धर्म सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शिकागो जाना था। जाने में कुछ दिन शेष थे। ऐसे में एक बार उनकी मां ने सोचा कि क्यों ना विवेकानंद की परीक्षा ली जाए कि वे क्या वाकई धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने लायक हैं।

एक रात खाना खाने के बाद मां और स्वामी विवेकानंद फल खाने बैठे। विवेकानंद ने एक चाकू की मदद से फल काटा और उसे खाने लगे। इतने में पास में ही बैठी मां ने विवेकानंद से दूसरा फल काटने के लिए चाकू मांगा। मां का आदेश मिलते ही विवेकानंद ने तत्काल वह चाकू मां को दे दी।

मां ने चाकू लेने के बाद विवेकानंद से कहा कि वह उनकी परीक्षा में पास हो गये। विवेकानंद को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर एक चाकू देने को लेकर मां परीक्षा कैसे कह रही है और वे कैसे उनकी परीक्षा में पास हो गये।

इस पर मां ने कहा, 'बेटे जब मैंने चाकू मांगा तो मैंने इस पर गौर किया कि तुमने इसे मुझे कैसे दिया। लकड़ी वाला हिस्सा तुमने मेरी ओर कर दिया था और धारदार हिस्सा तुमने अपने हाथों में पकड़ा हुआ था, ताकि मुझे चोट नहीं लगे। यही तो तुम्हारी परीक्षा थी और तुम पास हो गये।'

मां ने विवेकानंद से कहा, 'सौम्य रहना और दूसरा का ज्यादा ख्याल रखना एक बहुत अच्छा गुण है। यह प्रकृति का नियम है कि जितना तुम निस्वार्थ होगे उतना ही तुम हासिल करोगे। तुम निश्चित तौर भारत का प्रतिनिधित्व करने के काबिल हो।'

Web Title: Swami Vivekananda story when mother tested before his preach on Hinduism in parliament of world religion

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