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सूर्य ग्रहण 2020: सदियों से चली आ रही श्री महाकालेश्वर मंदिर की यह परंपरा, ग्रहण के दौरान भी..

By बृजेश परमार | Updated: June 20, 2020 12:02 IST

21 जून को खगोलीय सूर्य ग्रहण पूर्वान्ह 10.46 से प्रारंभ होगा। दोपहर 1.47 बजे तक ग्रहण रहेगा। इसके कारण श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की भोग आरती ग्रहण काल के बाद होगी।

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ठळक मुद्दे21 जून को खगोलीय सूर्य ग्रहण पूर्वान्ह 10.46 से प्रारंभ होगा। दोपहर 1.47 बजे तक ग्रहण रहेगा।ग्रहण के चलते श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की भोग आरती ग्रहण काल के बाद होगी। यानि बाबा को सूर्य ग्रहण की वजह से देरी से भोग लगेगा।

उज्जैन। 21 जून को खगोलीय सूर्य ग्रहण पूर्वान्ह 10.46 से प्रारंभ होगा। दोपहर 1.47 बजे तक ग्रहण रहेगा। इसके कारण श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की भोग आरती ग्रहण काल के बाद होगी। यानि बाबा को सूर्य ग्रहण की वजह से देरी से भोग लगेगा। ग्रहण के दौरान भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे। पट खुले रहेंगे। स्वयंभू श्री महाकालेश्वर बारह ज्योर्तिलिंग में प्रमुख माने जाते हैं। कोविड-19 के लॉकडाउन के उपरांत श्री महाकालेश्वर मंदिर में आनलाईन बुकिंग पर ही श्रद्धालुओं को दर्शन की पात्रता मिल रही है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के पं. आशीष पुजारी के अनुसार श्री महाकालेश्वर में अनादिकाल से परंपरा चली आ रही है कि ग्रहण के दौरान भी मंदिर के पट खुले रहते हैं। सूर्य ग्रहण के सूतक काल में भस्मार्ती होगी। इसके बाद दद्योदक आरती में भगवान को चढ़ाया जाने वाला दही और चावल के स्थान पर शकर फल चढ़ाया जाएगा। सूतक और ग्रहण काल के दौरान पूर्वान्ह 10 बजे होने वाली भोग आरती नहीं की जाएगी। ग्रहण काल में भगवान को परंपरा अनुसार भोग नहीं लगाया जाता है। इस दौरान दर्शन होंगे प्रतिमा स्पर्श नहीं हो सकती है जो कि अभी मंदिर प्रबंध समिति की और से निषेध किया गया है।

दर्शन नंदी हाल के पीछे से ही श्रद्धालु कर रहे हैं। पं.आशीष पूजारी के अनुसार ग्रहण के पश्चात स्नान, ध्यान एवं मंदिर की शुद्धता के उपरांत भोग आरती में बाबा को लड्डू, रोटी, सब्जी, मौसमी सब्जी, दाल, चावल, हलवा, भजिये, ऋतु फल रस (आम रस) के साथ अन्य खाद्य पदार्थ का भोग अर्पित किए जाएंगे।

3.41 घंटे के ग्रहण काल का असर कुछ ऐसा रहेगा राशियों पर-

ज्योतिषाचार्य पं.प्रणयन पाठक के अनुसार 21 जून को प्रातः 10:06 से प्रारंभ होकर दोपहर 1:47 तक ग्रहण रहेगा। ग्रहण काल 3 घंटे 41 मिनट का होगा। ग्रहण का सूतक शनिवार रात्रि 10:00 बजे से प्रारंभ होगा। ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र एवं मिथुन राशि पर होने से मिथुन राशि को ज्यादा कष्ट सूचक है। ग्रहण मेष, सिंह, कन्या और मकर को शुभ तथा वृषभ, तुला, धनु और कुंभ को मध्यम रहेगा। मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए कष्टदायक है। उनके अनुसार ग्रहण की शांति हेतु लाल वस्तु का दान करना शुभ है।

मेष राशि वाले भगवान नारायण , वृषभ राशि वाले माता दुर्गा, मिथुन राशि वाले त्रिपुर सुंदरी की, कर्क-धनु राशि वाले जातक हनुमान जी, सिंह राशि वाले भगवान शंकर, कन्या राशि वाले महाकाली, तुला राशि वाले मां तारा, वृश्चिक राशि वाले रुद्र, मकर राशि वाले माता लक्ष्मी, कुंभ राशि वाले गणेश जी एवं मीन राशि वाले जातक माता दुर्गा की आराधना कर सकते हैं।

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